जस्टिस ललित आज सामान्य वर्ग के आर्थिक गरीब को 10 फीसदी आरक्षण देने पर फैसला सुनाएंगे। यह आरक्षण संविधान में 103 वां संशोधन के जरिये लाया गया है। इस संशोधन एक्ट, 2019 से संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में उपबंध 6 को जोड़ा गया। इसे असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। साथ ही बताया जा रहा है कि दूसरा फैसला आम्रपाली आवासीय योजना के खरीदारों को फ्लैट दिलवाने या उनका पैसे देने पर है। साथ ही बाकी बचे चार फैसले सामान्य हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ होंगे 50 वें मुख्य न्यायाधीश, CJI यूयू ललित ने उत्तराधिकारी के नाम का किया ऐलान
जस्टिस ललित का कार्यकाल 72 दिनों का रहा। जिस निर्णय के लिए जस्टिस ललित अधिक जाने जाएंगे वह है रजिस्ट्री को दुरुस्त करना, केसों के सूचीबद्ध करने की व्यवस्था में परिवर्तन और कोलेजियम (उच्च न्यायपालिका में जजों के चयन मंडल) की कार्यशैली में पारदर्शिता लाना। उन्होंने कोलेजियम के फैसले सार्वजनिक किए जो अब तक नहीं किए जा रहे थे। केस को नए सिरे से सूचीबद्ध करने का कुछ मौजूदा जज ने खुली कोर्ट में विरोध भी किया और कहा कि नई प्रणाली से उन्हें नए केसों की सुनवाई का समय नहीं मिल पा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में जज के बेटे की नियुक्ति रद्द, यूपी सरकार ने बनाया था चीफ एडवोकेट
बता दें कि जस्टिस ललित ने 400 ऐसे केसों को भी सुनवाई पर लगवाया जो इसके लिए तैयार थे पर उन्हें सूचीबद्ध नहीं किया जा रहा था। इस पर कोर्ट ने रजिस्ट्री से जवाब तलब भी किया। अफसरों पर कार्रवाई के लिए जस्टिस ललित सोमवार को सुनवाई करेंगे।
जस्टिस उदय उमेश ललित ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के कई अफसरों को बाहर का रास्ता दिखाया। ये अधिकारी रिटायर होने बाद भी एक्स्टेंशन पर चल रहे थे। उन्होंने पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रतिनियुक्ति पर रखे अफसरों को भी हटाया। उनके जीवन में ये तमाम चीजें उपलब्धि में शामिल है।