कोयला कंपनी खदान में होने वाली दुर्घटना को की रोकथाम को लेकर गंभीर नहीं है। सेफ्टी फंड में कोल इंडिया द्वारा कटौती की जा रही है। इस वजह से खदानों में लगातार हादसे बढ़ रहे हैं। बीते छह वर्षों में खदानों में 80 से अधिक हादसे हुए और 50 लोगों की जानें चली गई।
खदानों में मौत के बाद कंपनी ने दिया मुआवजा
रजगामार खदान में पंप ऑपरेटर राधेश्याम की 5 जुलाई को हादसे में मौत हो गई थी। इसपर कंपनी ने 10.43 लाख का मुआवजा दिया।दीपका खदान मेंं ईपी फीटर लाल दास खरे की 29 सितंबर को हादसे में मौत हो गई थी। इस पर कंपनी ने 10.96 लाख का मुआवजा दिया।
कुर्जा ओपन कास्ट में ठेका मजदूर एमएस कंवर की 16 नंवबर को हादसे में जान चली गई थी। इस पर कंपनी ने 14.77 लाख का मुआवजा दिया गया।
दीपका खदान में ठेका मजदूर पारस यादव की 29 नंवबर को जान गई थी। इस पर कंपनी ने परिवार को 12.21 लाख का मुुआवजा दिया।
कुसमुंडा खदान में 8 नंवबर को ठेका मजदूर रामचंद्र की हादसे में मौत हो गई थी, कंपनी ने परिवार को 13.52 लाख का मुआवजा दिया।
खदानों की सुरक्षा के लिए इन गाइडलाइन का हो ठोस पालन
विस्फोट मुक्त सुरक्षित खनन के लिए पर्यावरण अनुकूल सतही खनिकों का उपयोग।खान विशिष्ट ट्रैफिक नियमों का निर्माण और क्रियान्वयन।
एचईएमएम ऑपरेटरों का सिमुलेटर पर प्रशिक्षण।
निकटता चेतावनी उपकरण जैसे रियर व्यू मिरर और कैमरा, ऑडियो विजुअल अलार्म की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
रोशनी के स्तर को बढ़ाने के लिए हाइमास्ट टावरों का उपयोग करके प्रकाश व्यवस्था।