scriptबिजली के बिना इस स्कूल में चलते हैं पंखे और कंप्यूटर, जानिए कैसे? | Assam: School Running Fan and computers on solar power system in dima hasao | Patrika News
राष्ट्रीय

बिजली के बिना इस स्कूल में चलते हैं पंखे और कंप्यूटर, जानिए कैसे?

असम के डिमा हासाओ स्थित एक स्कूल के होस्टल में रहकर 200 से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं। सबसे खास बात ये है कि पूरे स्कूल में पंखे, कम्प्यूटर बिजली से नहीं बल्कि सौर ऊर्जा से चलते हैं।

May 17, 2021 / 08:47 pm

Anil Kumar

assam_school.png

Solar System in School

डिमा हासाओ। बिजली के बिना कुछ भी कल्पना करना आज के समय में मुमकिन नहीं है। यानी कि बिना बिजली के रह पाना संभव नहीं है। किसी भी काम को करने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है। लेकिन असम के एक इलाके में स्थित स्कूल में बिजली के बिना ही सब काम होते हैं।

दरअसल, असम के डिमा हासाओ एक ऐसा हिल स्टेशन है जो राजधानी गुवाहाटी से 350 किलोमीटर दूर है। यह छोटा सा शहर पहाड़ों और जंगलों से घिरा है। यही कारण है कि डिमा हासाओ को पूर्वोत्तर भारत का स्विट्ज़रलैंड भी कहा जाता है।

यह भी पढ़ें
-

प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े सोलर पार्क में अगले वर्ष शुरू होगा विद्युत उत्पादन

असम एक पहाड़ी इलाका है। ऐसे में यहां बादल और बारिश का मौसम अधिक बना रहता है। ऐसे में असम के कई इलाकों में बिजली की समस्या बनी रहती है। यदि शहरी इलाकों यानी गुवाहाटी, तेजपुर, नगांव और डिब्रूगढ़ की बात करें तो यहां बिजली की समस्या का काफी हद तक कम है, लेकिन शहर से 30-40 दूर के इलाकों में बिजली की समस्या देखने को मिलती रहती है। चूंकि इन ग्रामीण इलाकों में पहाड़ों पर अधिक घर बसे होने की वजह से बिजली की समस्या बनी रहती है।

लेकिन डिमा हासाओ में एक ऐसा स्कूल है, जहां पर होस्टल में रहकर 200 से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं। इस स्कूल की खास बात ये है कि यहां पर बिजली न होने के बावजूद पंखे चलते हैं और यहां बल्ब भी जलते हैं। यानी कि बिजली से जुड़े सभी काम होते हैं।

https://www.dailymotion.com/embed/video/x81btr3

30 दिन में स्कूल में लगा था सोलर पैनल

दरअसल, इस स्कूल में बिजली के लिए पारंपरिक साधन का नहीं बल्कि सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है। यहां पर सौर ऊर्जा के जरिए ही पंखे, कंप्यूटर चलाए जाते हैं। स्कूल प्रशासन ने लूम सोलर मोनो पैनल के साथ बैटरी और इन्वर्टर लगाया है। इसकी क्षमता 22.5 किलोवाट की है। बारिश के मौसम में भी कम धुप और बादल के दौरान मोनो पैनल बहुत कारगर है।

जानकारी के मुताबिक, असम के सोलर इंस्टालेशन कंपनी Aarohm Energy Pvt. Ltd. ने अगस्त 2020 में स्कूल में यह सोलर सिस्टम लगया था। करीब एक साल बाद भी सोलर सिस्टम पूरी तरह से सही चल रहा है। पूरी स्कूल के टीन शेड छत पर सोलर सिस्टम लगा हुआ है। इसे लगाने में करीब 30 दिन लगे थे। 22.5 किलोवाट सोलर सिस्टम दिन में 150Ah के 20 बैटरी को चार्ज करता है और रात के समय में बच्चो की पढ़ाई के लाइट और पंखा इसी से चलता है।

https://www.dailymotion.com/embed/video/x81bu4l

Hindi News / National News / बिजली के बिना इस स्कूल में चलते हैं पंखे और कंप्यूटर, जानिए कैसे?

ट्रेंडिंग वीडियो