गौरतलब है कि हरियाणा की इस नई नवेली पार्टी ने हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों में से 10 पर सीट दर्ज की थी। इसके साथ ही करीब 14 फीसदी वोट प्राप्त किया था। अब जिस तरह से जेजेपी का गणित गड़बड़या उसे देखते हुए विधानसभा चुनाव से पहले ही छह विधायकों ने पाला बदल लिया है। हरियाणा में सियासी गर्मी भी बढ़ गई है। इसके साथ राजनीतिक पार्टियां भी अपने गुणा गणित में जुट गई हैं। ऐसे में नए समीकरण के तहत पुराने विधायक अपना गढ़ बचान में जुटे हैं। कोई कांग्रेस के पाले में जाने को तैयार है तो कोई भाजपा के साथ अपनी नाव पार लगाने की कतार में है।
रामनिवास सुरजा खेड़ा ने जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा सौंपा। नरवाना से विधायक रामनिवास सुरजा खेड़ा ने भी जननायक जनता पार्टी का दामन छोड़ दिया है। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर इस्तीफे की चिट्ठी शेयर करते हुए लिखा, ”होइहे सोइ जो राम रचि राखा। नरवाना परिवार के लिए संघर्ष सदा जारी रहेगा। मैं रामनिवास सुरजा खेड़ा, विधायक नरवाना आप से अनुरोध करता हूं कि पार्टी में पिछले दो सालों से हो रही गतिविधियां मेरी राजनीतिक विचारधारा के विपरीत रही हैं, जिससे मैं व्यथित होकर आज जननायक जनता पार्टी के सभी पदों, दायित्वों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।”
भाजपा से 12 मार्च को टूट गया था गठबंधन
जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार चला रही थी। 12 मार्च 2024 को यह गठबंधन टूट गया। इसके साथ ही सारे समीकरण बदल गए और पूरी पार्टी बिखराव की तरफ बढ़ चली। पहले जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं ने मुंह मोड़ा और फिर बाद में अब विधायकों ने साथ छोड़ा है। अब जेजेपी के पास परिवार से दो विधायक दुष्यंत चौटाला और उनकी मां नैना चौटाला बची हैं। वहीं परिवार से बाहर जुलाना विधायक अमरजीत ढांडा ही बचे हैं। अगर यह भी साथ छोड़ते हैं तो फिर पार्टी का पूरा प्रराब्ध ही बदल जाएगा।