आज से ठीक 71 साल पहले भारत सरकार ने 1 अगस्त 1953 को वायु निगम अधिनियम के तहत एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया था। हवाई यात्रा में उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं की गारंटी देने के लिए यह कदम उठाया गया था। बता दें कि एयर इंडिया के राष्ट्रीयकरण से पहले इस कंपनी का मालिकाना हक टाटा ग्रुप के पास था। जमशेद टाटा के छोटे बेटे जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (जेआरडी टाटा) ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। टाटा ग्रुप की इस कंपनी को अपने कब्जे में लेने के लिए तत्कालीन नेहरू सरकार ने मार्च 1953 में संसद से वायु निगम अधिनियम पारित किया था। इसके बाद 28 मई 1953 को इस एक्ट पर राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी थी। जिसके बाद 1953 एक्ट लागू कर दिया गया।
देश के पहले पायलट बने थे जेआरडी टाटा जेआरडी टाटा देश के पहले पायलट बने थे। 10 फरवरी 1929 को जेआरडी टाटा को पहले भारतीय पायलट के रूप में लाइसेंस मिला था। 15 अक्टूबर 1932 को कराची और मुंबई के बीच उड़ान भरकर जेआरडी टाटा ने अपनी टाटा उड्डयन सेवा की शुरूआत की थी।
जेआरडी टाटा को बिना बताए सरकार ने लिया फैसला रिपोर्ट के मुताबिक 1932 में टाटा एयरलाइंस की शुरुआत करने वाले जेआरडी टाटा को इस बात की जानकारी नहीं दी गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने टाटा को बिना बताए एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। उस समय एयर इंडिया दुनिया की श्रेष्ठ एयरलाइंस में से एक मानी जाती थी। बाद में टाटा एयरलाइंस एयर इंडिया के रूप में परिवर्तित हो गई थी।
सरकार ने खरीद लिया एयर इंडिया का अधिकतर शेयर इस बड़े बदलाव के बाद भारत सरकार ने एयर इंडिया के अधिकतर शेयर खरीद लिए थे और उसका मालिकाना हक बढ़ गया था। कंपनी का नाम बदलकर एयर इंडिया इंटरनेशनल कर दिया गया और जेआरडी टाटा को इसका चेयरमैन बनाया गया था। इंडियन एयरलाइंस की स्थापना 15 जून, 1953 को हुई थी। दो नए विमान सेवा कंपनियों एअर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस की शुरुआत हुई थी।
आजादी से पहले देश में 7 कंपनिया देती थी सेवा भारत की आजादी के पहले से मौजूद 7 क्षेत्रीय कंपनियों डेक्कन एयरवेज, एयरवेज इंडिया, भारत एयरवेज, हिमालयन एविएशन, कलिंगा एयरलाइंस, इंडियन नेशनल एयरवेज और एयर सर्विसेज ऑफ इंडिया को मिलाकर इंडियन एयरलाइंस कंपनी बनाई गई थी। उस समय एयर इंडिया के पास 99 विमान थे।
2006 से लगातार घाटे में थी एयर इंडिया इंटरनेट मीडिया पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 2000–01 में, एयर इंडिया के निजीकरण के प्रयास किए गए और 2006 के बाद से, इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद इसे घाटे का सामना करना पड़ा। एअर इंडिया पिछले एक दशक के दौरान भारी नुकसान में रही है। इस पर 31 मार्च 2020 तक 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज था। एअर इंडिया को 2020-21 फाइनेंशियल ईयर में 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का घाटा हुआ था। इस कारण सरकार ने एयरलाइन को टाटा को बेच दिया।