५० साल पहले रेल मंत्री ने जताया था अफसोस
1970 में जब तेंदूखेड़ा ग्राम पंचायत थी उस दौरान तत्कालीन रेलमंत्री गुलजारीलाल नंदा एक कार्यक्रम में यहां आए थे और उन्होंने अफसोस जाहिर किया था कि रेल मंत्री होने के बावजूद वे यहां रेल मार्ग की सुविधा नहीं दे सके। उन्होंने इसे रेलमार्ग से जोडऩे का आश्वासन दिया था पर वह अभी तक इसे कोई जन प्रतिनिधि पूरा नहीं करा सका। रेल सुविधा न होने से तेंदूखेड़ा क्षेत्र विकास के मामले में अन्य शहरों की तुलना में अभी तक पिछड़ा हुआ है।
जबलपुर और इटारसी से ट्रेन पकडऩेे की मजबूरी
नरसिंहपुर स्टेशन से करीब ५० गाडिय़ा अप एंड डाउन में यहां बिना रुके गुजरती हैं। लंबी दूरियों की कई गाडिय़ों के स्टापेज न होने से यहां के लोगों को उन गाडिय़ों को पकडऩे के लिए या तो जबलपुर स्टेशन जाना पड़ता है या फिर इटारसी से सवार होते हैं। जिससे यहां के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार यहां के लोगों ने जन प्रतिनिधियों से इस बारे में बात की पर किसी ने भी गंभीरता नहीं दिखाई। एक ओर जहां यहां के लोगों को अधिक रेल सुविधाएं नहीं मिल सकीं वहीं इस क्षेत्र से होकर गुजरने वाली शटल पैसेंजर गाडिय़ां बंद कर दी गईं। इटारसी सतना शटल यहां के छात्रों, व्यापारियों व अप डाउनर्स के लिए सबसे उपयुक्त एवं सुविधाजनक गाड़ी थी जिसे एक साल पहले बंद कर दिया गया। उसकी जगह एक्सप्रेस गाड़ी चला दी गई जिसके स्टापेज यहां के उन स्टेशनों पर नहीं दिए गए जो शटल के थे। जिसकी वजह से लोगों की सुविधा छिन गई और परेशानी शुरू हो गई। इस वजह से क्षेत्र के मतदाताओं में जन प्रतिनिधियों की भूमिका को लेकर गहरा असंतोष है।