दरअसल हेमचंद मांझी को इलाके के नक्सली इलाज करना छोड़ने की धमकी देे चुके हैं लेकिन इसके बावजूद इसके वे अपना काम कर रहे हैं। हेमचंद कहते हैं, उन्होंने पुरस्कार के लिए कोई आवेदन नहीं किया था और उन्हें पुरस्कार दे दिया गया है तो उनकी चिंता बढ़ गई है। उन्होंने सरकार से सुरक्षा की मांग की है ताकि वे अपना काम जारी रख पाएं।
पद्मश्री… हेमचंद के भतीजे कोमल मांझी की भी नक्सली हत्या कर चुके हैं इसलिए उन पर खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है। मां दंतेश्वरी ने सपने में आकर लोगाें का इलाज करने कहा : हेमराज मांझी बताते हैं, 50 साल पहले उनके सपने में बस्तर की आराध्य माता दंतेश्वरी आईं और जड़ी-बूटी से मरीजों का इलाज करने कहा। तब से वे लोगों का इलाज कर रहे हैं। जब उन्होंने लोगों का उपचार शुरू किया तब वे 20 साल के थे। वैद्यराज मांझी बताते हैं कि उनके बेटे दिनेश के मोबाइल पर 25 जनवरी को दिल्ली से फोन आया तब उन्हें पता लगा कि उन्हें अवार्ड मिलने वाला है।
नक्सलियों की वजह से नारायणपुर से कर रहे इलाज वैद्यराज हेमचंद मांझी नक्सलियों की वजह से छोटे डोंगर से दूर हो गए हैं। उन्हें पुलिस ने जिला मुख्यालय नारायणपुर शिफ्ट कर दिया है। नक्सली कई बार उन्हें जान से मारने के संबंध में पर्चे उनके घर के बाहर छोड़ चुके हैं। हेमचंद नारायणपुर में मरीज को देखने के बाद दवा के लिए छोटे डोंगर भेजते हैं, वहां उनके बेटे मरीजों को दवा देते हैं। उनकी प्रसिद्धि छत्तीसगढ़ समेत महाराष्ट्र, ओडिशा व आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में भी है।