7 वर्ष से करा रहे थे डायलिसिस
यह कहानी है शहर के दो युवा पीयूष (२४) पिता अनिल रघुवंशी निवासी रानी लक्ष्मीबाई मार्ग व संदीप (३०) पिता शांतिलाल सेठिया वर्ष निवासी चंद्रशेखर आजाद मार्ग की। पीयूष की १२ वर्ष की उम्र में ही किडनी खराब हो गई थी। लगभग 5 वर्ष तक उसका उपचार दवाई गोली से चला, लेकिन बाद में स्थिति गंभीर होने पर उसका सप्ताह में दो बार डायलिसिस करना पड़ता था। लगभग ७ वर्ष से पीयूष का डायलिसिस हो रहा था। इसी प्रकार संदीप का भी गत २ वर्ष से प्रतिमाह ३ से ४ बार डायलिसिस उज्जैन में होता था, लेकिन अब दोनों के किडनी ट्रांसप्लांट के सफल ऑपरेशन के बाद दोनों को डायलिसिस की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
6 माह में 200 रोगियों को मिली राशि
गत ६ माह में क्षेत्र के लगभग 200 रोगियेां को मुख्यमंत्री सहायता कोष से विभिन्न के लिए राशि मिली है। 1 अप्रैल २०१७ में अभी तक लगभग २०० रोगियों को मुख्यमंत्री राहत कोष से लगभग १ करोड़ ५० लाख की राशि मंजूर हुई है। विधायक शेखावत ने एक प्रेस बयान में कहा कि प्रदेश में सबसे अधिक नागदा-खाचरौद क्षेत्र में रोगियों को उपचार के लिए राशि मंजूर हुई है। विधायक ने बताया कि १.२५ लाख राशि उपचार के लिए मंजूर हुई। शेष राशि लगभग २५ लाख उन मृतकों को मिली जो कृषि कार्य करते समय किसी दुर्घटना में मौत का शिकार हो गए।
संदीप को पत्नी ने दी किडनी, पीयूष को इंदौर के बॉम्बेे अस्पताल से मिली
संदीप को उसकी पत्नी वर्षा ने अपनी एक किडनी दी। जबकि पीयूष को किडनी इंदौर के बाम्बे अस्तपाल से मिली। बाम्बे अस्तपाल में एक महिला हर्षिता निवासी इंदौर का उपचार चल रहा था। हर्षिता को ब्रेन हेमरेज हो गया था। जिसकी किडनी पीयूष को दी गई। इंदौर प्रशासन ने ग्रिन कोरिडोर बनाकर किडनी बाम्बे अस्पताल से चौईथराम अस्तपाल भेजी थी। दोनों का ऑपरेशन इंदौर के चौईथराम अस्पताल में हुआ। वर्तमान में दोनों युवक अस्पताल में भर्ती है।