दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर युद्ध में जीत हासिल की थी। इस पर्व को असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में भी मनाया जाता है। दशहरा पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसलिए भी शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि को यह उत्सव मनाया जाता है। दशहरा पर रावण और उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है। पुतलों का दहन सही समय में किया जाए तो ही शुभ माना जाता है। विजयदशमी के दिन इन पुतलों के दहन का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त है।
विजयदशमी पर इनकी भी होती है पूजा
विजयदशमी पर शस्त्र, पुस्तक, शमी वृक्ष आदि का पूजन करना जहां शुभ माना जाता है, वहीं इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सोना, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ होता है।
दशहरे के दिन नीलकंठ भगवान के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरा के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ माने गए हैं। विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है।