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नागौर

छह दुर्लभ शुभ संयोगों में आज मनाई जाएगी विजयदशमी

–श्रवण नक्षत्र के साथ ही रवि, सुस्थिर, सर्वार्थ सिद्धि, शनि, शस राजयोग एवं मालव्य योग के साथ पूजन रहेगा बेहद शुभ होने के साथ प्रभावशालीनागौर. विजयदशमी पर्व शनिवार को इस वर्ष श्रवण नक्षत्र के साथ ही रवि योग, सुस्थिर एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा। पंडित सुनील दाधीच ने बताया कि विजयदशमी के दिन […]

नागौरOct 11, 2024 / 10:40 pm

Sharad Shukla

श्रवण नक्षत्र के साथ ही रवि, सुस्थिर, सर्वार्थ सिद्धि, शनि, शस राजयोग एवं मालव्य योग के साथ पूजन रहेगा बेहद शुभ होने के साथ प्रभावशाली
नागौर. विजयदशमी पर्व शनिवार को इस वर्ष श्रवण नक्षत्र के साथ ही रवि योग, सुस्थिर एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा। पंडित सुनील दाधीच ने बताया कि विजयदशमी के दिन श्रवण नक्षत्र का होना बहुत शुभ होता है। इस साल इसका संयोग बन रहा है। श्रवण नक्षत्र 12 अक्तूबर को सुबह 5 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ होकर 13 अक्तूबर को सुबह 4 बज कर 28 मिनट पर समाप्त हो रहा है। इसके साथ ही कुंभ राशि में शनि शश राजयोग, शुक्र और बुध लक्ष्मी नारायण योग के साथ शुक्र मालव्य नामक राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इसके साथ ही इस दिन पूर्ण रवि योग, सुस्थिरयोग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। इन शुभ नक्षत्रों के संयोग से यह विजयदशमी बेहद शुभ होने के साथ ही निर्धारित शुभ मुहूर्त में पूजन से प्रभावशाली रहेगी। नागौर के सूर्योदय अनुसार इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्तूबर सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी। इसका समापन तिथि का समापन 13 अक्तूबर को सुबह 9 बजकर 9 मिनट पर होगा।
शस्त्र पूजन मुहूर्त
दशहरा के दिन कई जगहों पर शस्त्र पूजा करने का भी विधान है। प्रयोग में आने वाले शस्त्र एवं औजार का इस दिन पूजन अवश्य करना चाहिए। दशहरा के दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में की जाती है। इस साल दशहरा पूजन के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 2 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 46 मिनट तक रहेगी।
इसलिए मनाते हैं विजयादशमी
दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर युद्ध में जीत हासिल की थी। इस पर्व को असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में भी मनाया जाता है। दशहरा पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसलिए भी शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि को यह उत्सव मनाया जाता है। दशहरा पर रावण और उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है। पुतलों का दहन सही समय में किया जाए तो ही शुभ माना जाता है। विजयदशमी के दिन इन पुतलों के दहन का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त है।
विजयदशमी पर इनकी भी होती है पूजा
विजयदशमी पर शस्त्र, पुस्तक, शमी वृक्ष आदि का पूजन करना जहां शुभ माना जाता है, वहीं इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सोना, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ होता है।
नीलकंठ पक्षी दर्शन की मान्यता है
दशहरे के दिन नीलकंठ भगवान के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरा के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ माने गए हैं। विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है।

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