बैठकों तक सीमित कार्रवाई की बात शहर की मुख्य सड़कों के अलावा राजमार्गों पर गायों के लिए रिजका बेचा जा रहा है। इसके कारण दिन भर यहां गो वंश का जमावड़ा रहता है। रिजका खाने के बाद गोवंश सड़क के आसपास ही बैठ जाता है और भूख लगने पर फिर सड़कों के आसपास एकत्र हो जाते हैं। नगर परिषद की बैठकों में सड़कों व गलियों में रिजका बेचने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की बात कही जाती है लेकिन हकीकत यह है कि ऐसे मामलों में नगर परिषद ने कोई कार्रवाई नहीं की। रही सही कसर सड़कों पर डाला जा रहा कचरा व जूठन पूरी कर देता है। लोग सड़कों पर कचरा व खेळियों में जूठन डालते हैं जिससे पशु दिन भर वहीं लड़ते रहते हैं।
अभियान में याद आते रिफ्लेक्टर राष्ट्रीय राजमार्ग 89 पर जेएलएन अस्पताल से आगे गोगेलाव डेम तक एक्सीडेंटल जोन बना हुआ है। यहां आए दिन हादसे होते रहते हैं। गत सितम्बर माह में नागौर विधायक मोहनराम चौधरी की गाड़ी भी जानवर को बचाने के प्रयास में पलट गई थी और हादसे में विधायक व उनके भाई गंभीर घायल हो गए थे। आए दिन ऐसी घटनाएं होने के बावजूद जिला प्रशासन के पास लावारिस जानवरों की समस्या का कोई हल नहीं है। जिला प्रशासन व जिला परिवहन विभाग भी हादसों के लिए कम जिम्मेदार नहीं है। जिम्मेदार सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान दो-चार लावारिस गो वंश के सींगों में रिफ्लेक्टर लगाकर कत्र्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।