उन्होंने स्कूल का माहौल खुशनुमा बनाने और बच्चों को रोमांच का अनुभव करवाने के लिए स्कूल का लुक ही ट्रेन जैसा कर दिया है। स्कूल परिसर की रंगाई-पुताई रेल की तरह नजर आती है। गेट और खिड़कियां बाकायदा ट्रेन की तरह बनाई गई है। गांव की यह स्कूल अब आमजन के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है। विद्यालय में निरंन्तर विकास हो रहा है। वर्ष 2018 में नामांकन 100 था, जो बढक़र 215 तक पहुंच गया।
शाला विकास में यूं मिला जनसहयोग
वरिष्ठ अध्यापक मनोज कुमार तंवर ने बताया कि विद्यालय में दो लाख की लागत से जन सहयोग से कक्षा-कक्ष निर्माण कराया गया। वहीं दो लाख रुपए की लागत से छायादार मंच का निर्माण फूल सिंह व मनोहर सिंह की ओर से कराया। सम्पत्त सिंह राजावत ने ३० हजार रुपए का वाटरकूलर लगवाया। वहीं पचास लोहे की टेबल कुर्सी सेट, 14 कॉलम अलमारी स्टॉफ के लिए, बालिका शौचालय पर नल फिटिंग आदि जन सहयोग से हुआ।