गौरतलब है कि क्षेत्रफल (17,718 वर्ग किलोमीटर) की दृष्टि से नागौर जिला प्रदेश का पांचवां और देश का नौवां सबसे बड़ा जिला है, जबकि आबादी के हिसाब से पूरे प्रदेश में चौथा बड़ा जिला है, जबकि इससे कम आबादी वाले इलाकों को भी बहुत पहले जिला बना दिया गया था।
एक नजर नागौर व प्रदेश के अन्य छोटे जिलों पर जिले के अन्य संगठनों व जनप्रतिनिधियों की तरह बैंक ऑफ बड़ौदा के सेवानिवृत्त मुख्य प्रबंधक पवन कुमार काला ने भी एक प्रस्ताव तैयार कर कमेटी को भेजा है, जिसमें उन्होंने बताया कि नागौर जिले को तीन भागों में विभाजित करते हुए नागौर (6789), मकराना (5542) व मेड़ता (5313) को जिला मुख्यालय बनाना चाहिए। काला ने बताया कि नागौर को तीन भागें में बांटने के बाद भी वर्तमान के धौलपुर (3033), दौसा (3432), डूंगरपुर (3770), प्रतापगढ़ ( 4117) बांसवाड़ा (5037), भरतपुर (5066) जिले हमसे छोटे ही रहेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इससे 2011 की जनगणना के अनुसार नागौर जिले की आबादी 33,07,743 का करीब करीब 3 समान भागों में बांटे तो मकराना की जनसंख्या 1400424, नागौर की जनसंख्या 986874 व मेड़ता की जनसंख्या 920445 में विभाजन हो जाएगा।
ये जिले नागौर से आबादी और क्षेत्रफल में आधे जिला – आबादी – क्षेत्रफल करौली – 1,458,459 – 5530 किमी प्रतापगढ़ – 868,231 – 4,117 राजसमंद – 1,158,283 – 4,768
सिरोही – 1,037,185 – 5,136 टोंक – 1,421,711 – 7,194 झालावाड़ – 1,411,327 – 6,219 बूंदी – 1,113,725 – 5,550 बारां – 1,223,921 – 6,955 धौलपुर – 1,207,293 – 3,033
डूंगरपुर – 1,388,906 – 3,770 दौसा – 1,634,409 – 3432 बाद में बने पड़ौसी जिले, विकास में निकल गए आगे जिलेवासियों ने बताया कि नागौर के पड़ोसी अन्य जिलों बीकानेर, जोधपुर, जयपुर, अजमेर, सीकर, चूरू आदि है, लेकिन नागौर इन सबसे पहले बसा होने के बावजूद आज विकास की दौड़ में पीछे है। इसलिए इसका पुनर्गठन आवश्यक है। वर्तमान में जिला मुख्यालय से प्रमुख तहसीलें काफी दूर-दूर होने के कारण जनता व प्रशासन दोनों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इससे प्रशासन की पकड़ कमजोर और विकास भी कम हो रहा है। जिले की प्रमुख तहसीलों की जिला मुख्यालय से दूरी देखें तो नावां 148 किलोमीटर, परबतसर 135 किलोमीटर, मकराना 113 किलोमीटर, डीडवाना 100 किलोमीटर तथा लाडनूं 93 किलोमीटर है।
कुचामन व डीडवाना का पक्ष मजबूत
यूं तो जिले से कुचामन, डीडवाना, मकराना, परबतसर व मेड़ता क्षेत्र के संगठनों व जनप्रतिनिधियों ने जिला बनाने की मांग की है और सबने अपने-अपने पक्ष मजबूती से रखें हैं, लेकिन सरकार की िस्थति एवं मौजूदा संसाधनों को देखते हुए कुचामन और डीडवाना का पक्ष सबसे मजबूत है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में डीडवाना को जिला बनाने के उद्देश्य से सरकारी ढांचा तैयार किया गया एवं विकास करवाए गए, वहीं पिछले तीन साल में कुचामन को जिला बनाने की दृष्टि से प्रशासनिक एवं पुलिस सहित अन्य संसाधन जुटाए गए हैं। दोनों ही स्थानों पर एडीएम व एएसपी स्तर के अधिकारी बैठते हैं तथा अन्य सुविधाएं भी यहां मेड़ता, मकराना या परबतसर से अधिक हैं।
जिलों के प्रस्ताव मिले हैं
जिले के पुनर्गठन को लेकर मांगें गए प्रस्तावों व मांगों के बाद जिलेभर से विभिन्न संगठनों व लोगों ने मांग पत्र दिए हैं। इसमें डीडवाना, कुचामन, मकराना व मेड़ता को जिला बनाने को लेकर काफी ज्ञापन प्राप्त हुए हैं, जिन्हें हमने कमेटी को भिजवा दिए हैं।
– पीयूष समारिया, जिला कलक्टर, नागौर