द नागौर सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2020 से लेकर वर्ष 2024 तक अल्पकालीन फसली ऋण लेकर नहीं चुकाने वालों की संख्या में प्रति वर्ष औसतन डेढ़ गुना का इजाफा हुआ है। यानि की ऋण लिए जाने के बाद उसे नहीं चुकाए जाने की प्रवृति से अब स्थिति विकट होने लगी है। हालांकि बैंक प्रशासन का कहना है कि उसने ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत स्तर पर वसूली के लिए व्यवस्थापकों के माध्यम से प्रयास किए गए हैं, मगर इसमें पूरी तरफ से सफलता नहीं मिल पाई है। वैसे इस प्रयास में कुछ प्रगति जरूर हुई है, मगर यह प्रगति से औसत से कमतर रही है। अधिकारियों का कहना है कि फसली ऋण वितरण का काम पूरा होने के बाद विशेष योजना बनाकर वसूली के लिए टीमों को लगाया जाएगा।
इनको नहीं मिला ऋण
विभागीय जानकारों के अनुसार बैंक की ओर से 12 हजार 126 अवधिपार की श्रेणी में शामिल किसानों को न तो रबी फसली ऋण दिया गया है, और न ही खरीफ का फसली ऋण मिलेगा। बैंक अधिकारियों का मानना है कि यह तो पहले ही बैंक से लिया गया ऋण न चुकाने की वजह से डिफॉल्टर्स की श्रेणी में आ चुके हैं। ऐसे में इनको अल्पकालीन फसली ऋण कैसे दिया जा सकता है।
इनका कहना है…
बैंक की ओर से किसानों में अल्पकालीन फसली ऋण में रबी का फसली ऋण वितरण किया जा चुका है। खरीफ फसली ऋण का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। बकाया वसूली के लिए बैंक की ओर से विशेष कार्ययोजना के तहत काम किया जाएगा।
दीपक तेरवा, प्रबन्ध निदेशक, द नागौर सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक