ऐसा नहीं है कि प्राधिकरण ने पैनोरमा निर्माण में कौताही बरती, तीनों ही पैनोरमा में संकलित की गई जानकारी एवं लगाई गई तस्वीरें व प्रतिमाएं सैकड़ों वर्ष पुराने दृश्यों को जीवंत करते हैं तथा उन्हें देखकर हर कोई खुश हो जाता है, लेकिन सरकारी उदासीनता एवं अनदेखी के चलते इन पैनोरमा की सार-संभाल नहीं हो पा रही है, जिससे मन दु:खी हो जाता है।
पींपासर व खरनाल का पैनोरमा की लोकेशन काफी अच्छी है। खरनाल स्थित पैनोरमा जहां वीर तेजाजी की जन्मस्थली खरनाल में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है, वहीं पींपासर का पैनोरमा नागौर व बीकानेर की सीमा पर स्थित है। मुकाम व समराथल धोरा के दर्शनार्थ देशभर से आने वाले श्रद्धालु जाम्भोजी की जन्मस्थली पींपासर भी आते हैं, ऐसे में यदि उन्हें पैनोरमा खुला मिल जाए तो प्रशासन को न केवल राजस्व अर्जित होगा, बल्कि पैनोरमा की सार-संभाल भी हो सकेगी। इसी प्रकार खरनाल में भी श्रद्धालु एवं पर्यटक पैनोरमा देखने आते हैं, लेकिन चाबी आने में ही आधा घंटा लग जाता है।
हां, यह सही है कि जिले में बने पैनोरमा नियमित रूप से नहीं खोले जा रहे हैं। वैसे उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति को इसकी व्यवस्था करनी होती है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। 15 अगस्त से पहले सभी पैनोरमा को खोलने व नियमित सार-संभाल के लिए बैठक बुलाने के लिए एसडीएम को निर्देश देंगे। हम प्रयास करेंगे कि जनसहयोग से उनके बैंक खाते भी खुलवाएं, ताकि नियमित रूप से पैनोरमा खुले और देखभाल भी हो।
– डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, जिला कलक्टर, नागौर