गौरतलब है कि वर्ष 2015 के चुनावों में सरकार ने पार्षदों के लिए 10वीं की शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य की थी, जिसके चलते पिछले बोर्ड में सभी पार्षद 10वीं या उससे अधिक पढ़े लिख थे, जबकि इस बार राज्य सरकार ने शैक्षणिक योग्यता का बेरियर हटा दिया, जिसके चलते कई अनपढ़ भी पार्षद बने हैं। नगर परिषद के 60 वार्डों में से 35 पार्षद ऐसे हैं जिनकी शिक्षा 10वीं से कम है। इनमें 13 तो ऐसे हैं जो साक्षर ही हैं यानी उन्हें केवल खुद का नाम लिखना आता है। साथ ही 35 में 2 पार्षद पांचवीं तक पढ़े हैं और जबकि 20 पार्षद 8वीं व 10वीं तक पढ़े लिखे हैं।
नगर परिषद बोर्ड में इस बार दो अधिवक्ता भी पार्षद बने हैं, जिसमें एक सभापति पद की निर्दलीय उम्मीदवार मीतू के पति नवरत्नमल बोथरा हैं, जबकि दूसरे वार्ड एक से जीतने वाले गोविन्द कड़वा हैं। इसके अलावा 19 पार्षद ऐसे हैं जो स्नातक या इससे अधिक पढ़े लिखे हैं।
यंू तो 40 वर्ष तक के पार्षदों की संख्या 34 है, लेकिन इसमें 16 पार्षद 30 वर्ष से भी कम उम्र के हैं, जबकि 18 पार्षद 31 से 40 वर्ष तक की उम्र के हैं। 13 पार्षद 41 से 50 वर्ष तक उम्र के, 8 पार्षद 51 से 60 वर्ष तक की उम्र के तथा 5 61 वर्ष से अधिक के हैं।