इस पर नहीं दिया जाता ध्यान
पांच साल में 35 करोड़ से ज्यादा का वेतन निगल गए, और राजस्व औसत
वेतन के पेटे करोड़ों का व्यय, राजस्व औसत
अजमेर संभाग के सीटीओ, एसीटीओ एवं जेसीटीओ आदि पर एक माह में लगभग 60 लाख के वेतन का व्यय सरकार करती है। पूरे साल में यह आंकड़ा लगभग सात करोड़ 20 लाख का हो जाता है। इस तरह से केवल पांच साल में 35 से 40 करोड़ से ज्यादा की राशि केवल इन जिम्मेदारों के पेटे सरकार व्यय कर चुकी है, लेकिन इस समयावधि में राजस्व उपलब्धी की स्थिति औसतन इसके 20 प्रतिशत भी नहीं हो पाई है। संभाग क्षेत्र में गत पांच सालों में हुई कार्रवाइयों की स्थिति पर नजर डालें तो ज्यादातर जगहों पर सर्वे ही नहीं कराया गया। सर्वे भी हुई तो केवल खानापूर्ति के चलते सरकार को राजस्व ही नहीं मिल पाया। कारण मिलीभगत के खेल के चलते इन जिम्मेदारों का वेतन ही सर्वे में हुए राजस्व से कई गुना ज्यादा रहा है। इस तरह से सरकार की ओर से तैनात किए गए राज्य कर विभाग के अधिकारी खुद राज्य सरकार को ही चूना लगाने में लगे हुए हैं।
इनका कहना है.
महेश कुमार मीणा, सहायक आयुक्त, राज्यकर विभाग, नागौर।