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नागौर

राजस्थान के इस जिले में घायल नहीं, डेड बॉडी रेफर की जा रही है, जानें क्या है माजरा?

JLN Hospital Nagaur : जेएलएन अस्पताल पर पड़ रहा अतिरिक्त भार, करीब साढ़े तीन महीने में 46 में से 22 शव के पोस्टमार्टम यहीं के चिकित्सकों ने किया, आसपास के डॉक्टर करते हैं आनाकानी। घायलों को तो रेफर करते सबने सुना होगा पर यहां डेड बॉडी (मृत शरीर) रेफर की जा रही है।

नागौरApr 23, 2024 / 02:33 pm

Omprakash Dhaka

JLN Hospital Nagaur District Hospital Dead Body Reference Physicians Post Mortem Dead Body Mortuary

नागौर जेएलएन अस्पताल स्थित मोर्चरी के बाहर डॉक्टर का इंतजार करते परिजन एवं मृतक वीरेंद्र।

Nagaur District Hospital : घायलों को तो रेफर करते सबने सुना होगा पर यहां डेड बॉडी (मृत शरीर) रेफर की जा रही है। उस पर चिकित्सक पोस्टमार्टम करने जिला अस्पताल पहुंच जाएं तो खुशनसीबी, वरना तो बार-बार फोन करने के बाद भी पांच-सात घंटे देर हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं। परेशानियां/खामियां तो खैर बनी हुई हैं ही पर जिम्मेदार पब्लिक को परेशान करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे।
रविवार की रात जेएलएन अस्पताल लाए गए शव का पोस्टमार्टम सोमवार को दोपहर एक बजे हो पाया। वो इसलिए कि रोल से आने वाले चिकित्सक ही इस समय आ पाए। आए दिन यही हो रहा है, जेएलएन अस्पताल के चिकित्सकों को आसपास के अस्पताल/थाना इलाके से आई डेड बॉडी का पोस्टमार्टम करना पड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार रविवार की रात सोनेली में बाइक सवार वीरेंद्र सिंह (28) सड़क हादसे की चपेट में आ गया। उसे डेह स्थित अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद मोर्चरी नहीं होने का हवाला देते हुए मृत शरीर को जेएलएन अस्पताल भिजवा दिया गया। यहां मोर्चरी में बॉडी रख दी गई, ताकि सुबह संबंधित अस्पताल से चिकित्सक आकर इसका पोस्टमार्टम कर दे।
सोमवार की सुबह परेशान परिजन चिकित्सक का इंतजार करते रहे। वो नहीं आए तो मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ शिवलाल मेहरा के पास पहुंचे और पोस्टमार्टम के लिए कहा, उन्होंने संबंधित चिकित्सक को बुलाने के लिए फिर फोन किया। पीएमओ डॉ महेश पंवार के पास भी परिजन पहुंचे। नियम तो यह है कि जिस अस्पताल अथवा थाना इलाके में व्यक्ति की मौत हुई वहीं का चिकित्सक पोस्टमार्टम करे यदि बॉडी जेएलएन में हो तो। खैर जैसे-तैसे करीब एक बजे चिकित्सक के पहुंचने पर पोस्टमार्टम हो पाया।
सूत्रों का कहना है कि यह पहला मामला नहीं है। आए दिन यही हो रहा है। मूण्डवा, श्रीबालाजी, भावण्डा, पांचौड़ी, रोल, खाटूबड़ी, साण्डवा समेत अन्य इलाकों से अधिकांश शव यहां रेफर होकर आते हैं। आलम यह है कि इनमें से अधिकतर का पोस्टमार्टम भी यहां के ही चिकित्सक कर देते हैं। कभी राजनीतिक दबाव तो कभी पुलिस अफसर अथवा अन्य किसी का प्रेशर रहता है।
जेएलएन अस्पताल पहले ही चिकित्सकों की तंगी से जूझ रहा है। ऐसे में बाहरी अस्पताल से आए गए शवों के पोस्टमार्टम करने का दबाव भी यहां के चिकित्सकों को झेलना पड़ रहा है।

साढ़े तीन महीने में पचास फीसदी पोस्टमार्टम

जनवरी से 19 अप्रेल तक जेएलएन अस्पताल में 46 शवों के पोस्टमार्टम हुए, उनमें 22 बाहर के थे। ये डेड बॉडी यहां की मोर्चरी में रखवा दी गई और संबंधित इलाके के अस्पताल से कोई डॉक्टर भी पोस्टमार्टम के लिए नहीं आया। मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ शिवलाल मेहरा ने ही ये पोस्टमार्टम किए। इनमें मूण्डवा-रोल के तीन-तीन, श्रीबालाजी थाना इलाके के सात, पांचौड़ी के चार, भावण्डा व साण्डवा के दो-दो तो खाटूबड़ी का एक शव शामिल था। असल में ये सभी किन्हीं भी कारण से यहां भेजे गए पर चिकित्सकों का नहीं आना नियमों की धज्जियां उड़ाता है। इस संबंध में सकुर्लर तक जारी हो चुका है कि मोर्चरी अथवा अन्य कारण से शव किसी जगह शिफ्ट हो तो पोस्टमार्टम संबंधित अस्पताल का चिकित्सक ही करेगा। बताया जाता है कि सीएचसी/पीएचसी के काफी चिकित्सक इससे बचते हैं। पहले भी आदेश जारी हो चुका है कि मोर्चरी व स्वीपर बाहरी अस्पताल वालों को उपलब्ध करा दें पर पोस्टमार्टम वहीं के चिकित्सक करेंगे।

पुलिस तक परेशान

बलात्कार हो या अन्य कोई मेडिकल, चिकित्सकों से पुलिस तक को परेशान होना पड़ता है। पिछले दिनों एक सामूहिक बलात्कार के मामले में जेएलएन अस्पताल की वरिष्ठ चिकित्सक भी काफी टालमटौल के बाद वहां पहुंची। कई मामलों में बलात्कार पीड़िता के मेडिकल में कुछ चिकित्सकों की लापरवाही से चार-छह घंटे तक लगते हैं। ऐसे कई मामलों में चिकित्सकों की लापरवाही/देरी भी लोगों को परेशान करती है।

इनका कहना

ऐसे मामलों में सूचना मिलने के बाद जल्द से जल्द संबंधित चिकित्सक को अस्पताल पहुंचकर पोस्टमार्टम करना चाहिए। इस तरह की लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई की जाएगी। मोर्चरी संबंधी अन्य कमियां भी जल्द से जल्द दूर करेंगे।
– डॉ राकेश कुमावत, सीएमएचओ नागौर

रोल थाना इलाके का मामला था, हादसे में युवक की मौत हो गई थी। शव यहां रखवाया, संबंधित चिकित्सक ने आकर पोस्टमार्टम किया। कई बार इसे लेकर गंभीरता नहीं बरतने पर परेशानी होती है। सीएमएचओ को पहले ही इस बाबत सूचित कर दिया गया।
– डॉ महेश पंवार, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल नागौर

इस संबंध में पहले से ही आदेश है कि संबंधित अस्पताल के चिकित्सक आकर पोस्टमार्टम करें। कई अस्पताल में मोर्चरी नहीं है तो उसके चलते शव यहां भेजे जाते हैं। जनवरी से अब तक बाहर से आए 22 शव का पोस्टमार्टम तक हमारी टीम ने किया। बाहर से चिकित्सक आए ही नहीं।
– डॉ शिवलाल मेहरा, मेडिकल ज्यूरिस्ट जेएलएन नागौर

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