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नागौर

जानिए, MP हनुमान बेनीवाल के बारे में सब कुछ, गांव का एक लड़का संघर्ष के बूते कैसे पहुंचा देश की संसद तक

राजनीति में युवाओं के आदर्श बन चुके बेनीवाल के एक इशारे पर हजारों लोगों की भीड़ जुट जाती है। आज बात करते हैं हनुमान बेनीवाल के जीवन और सांसद बनने तक के सफर पर..

नागौरJun 02, 2019 / 04:47 pm

abdul bari

नागौर

राजस्थान में हनुमान बेनीवाल का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। राजनीति में युवाओं के आदर्श बन चुके बेनीवाल के एक इशारे पर हजारों लोगों की भीड़ जुट जाती है। आज बात करते हैं हनुमान बेनीवाल के जीवन और सांसद बनने तक के सफर पर..
नागौर जिला मुख्यालय से करब 25 किलोमीटर की दूर स्थित बरणगांव के रहने वाले हनुमान बेनीवाल के पिता विधायक रहे हैं। जिसके कारण बचपन से ही उनको राजनीतिक वातावरण मिला। बेनीवाल की ज्यादातर शिक्षा जयपुर में हुई है। यहां पढ़ाई के दौरान राजस्थान विश्वविद्यालय की गतिविधियों देखते-देखते बेनीवाल ने यहां चुनाव लडऩे की बात मन में ठान ली। 1995 में उन्हें राजस्थान कॉलेज में प्रेसीडेंट पद पर चुना गया। जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1996 में यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज में और 1997 में राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष के चुनाव में जीत का परचम लहराया। इस दौरान बेनीवाल के धरने और प्रदर्शनों के माध्यम से प्रदेश में खासा नाम कमाया।
Hanuman Beniwal Nagaur
इस तरह बने पहली बार विधायक

वर्ष 2003 में पहली बार ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल से नागौर के मूण्डवा विधानसभा से चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रहने वाले बेनीवाल वर्ष 2008 में भाजपा से विधायक बने। खींवसर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने के बाद वसुंधरा राजे का विरोध करने के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद बेनीवाल ने जिस तरह भाजपा और कांग्रेस का विरोध किया। इस दौरान उन्हें लोग पसंद करने लगे। खासकर युवाओं में बेनीवाल ज्यादा लोकप्रिय हुए। किसान व युवा की बात करने वाले बेनीवाल हर उस कार्यक्रम, आंदोलन एवं सम्मेलनों में शामिल हुए, जो सरकार के खिलाफ थे या किसानों एवं युवाओं से जुड़े हुए थे, फिर चाहे वे किसी भी जाति या वर्ग से सम्बन्धित क्यों न हों।
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MLA Hanuman Beniwal
…लोकप्रियता बढ़ती गई


इस दौरान प्रदेश में सरकार कांग्रेस की थी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे, इसके बावजूद विधायक बेनीवाल ने अपने विधानसभा क्षेत्र में खूब विकास कार्य करवाए। किसानों से जुड़े हर मुद्दे पर वो सरकार के सामने खड़े हो गए, जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई। वर्ष 2013 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने एक बार फिर निर्दलीय के रूप में खींवसर से ताल ठोकी और चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने वसुुंधरा सरकार पर जमकर हमला बोला।
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चुनाव चिन्ह ‘बोतल’ बना

भाजपा से अलग हुए हनुमान बेनीवाल ने विधानसभा चुनाव 2018 से पहले राजस्थान में जहां तीसरे मोर्चे के रूप में अपनी अलग पार्टी रालोपा (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) का गठन किया साथ ही 58 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा और 3 विधानसभा सीटों को जीतकर अपनी मौजूदगी राजस्थान में दर्ज करवाई। पार्टी के गठन के बाद रालोपा का चुनाव चिन्ह ‘बोतल’ बना।
Hanuman Beniwal KA BHASHAN
भाजपा और रालोपा में हुआ गठबंधन
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद जाट बेल्ट में भाजपा कमजोर साबित हुई। कई जगह विधायक हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) ने भाजपा को चुनाव हराने का काम किया। भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। यही वजह है कि जाट बाहुल्य चार लोकसभा सीट पर कमजोर दिख रही भाजपा को रालोपा से गठबंधन कर एक सीट छोडऩा फायदे का सौदा नजर आया। इसके बाद भाजपा ने हनुमान बेनीवाल से गठबंधन का हाथ बढ़ाया।
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शाह चाहते थे रालोपा का भाजपा में विलय


जानकारी के मुताबिक 2019 के आम चुनाव से पहले भाजपा ने करीब एक माह पहले हनुमान बेनीवाल से सम्पर्क किया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह रालोपा का भाजपा में विलय चाहते थे। पार्टी के बड़े नेताओं ने इसके लिए कोशिश भी की, लेकिन हनुमान बेनीवाल विलय के लिए राजी नहीं हुए। साथ ही बेनीवाल खुद की जगह किसी अन्य को रालोपा का उम्मीदवार बनाना चाहते थे, लेकिन भाजपा चाहती थी कि वे खुद चुनाव लडें। आखिरकार एक शर्त हनुमान बेनीवाल की मानी गई कि गठबंधन करेंगे और हनुमान बेनीवाल ने भाजपा की यह शर्त मानी कि वे खुद चुनाव लडेंगे। बेनीवाल ने पूरे जोर शोर से चुनाव लड़ा।
Hanuman Beniwal KA JEEVAN
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिला फायदा

23 मई 2019 को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए नागौर सीट ( Nagaur Chunav Parinam 2019 ) पर एनडीए प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को भारी वोटों से हराया। राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटों में से 24 सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, उन सब ने भी जीत हासिल की। नागौर की सीट पर बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल की आरएलपी ने गठबंधन कर लिया था। जिसका फायदा इस दिन बीजेपी को मिला।
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यहां मिला भाजपा को फायदा

बेनीवाल के भाजपा में शामिल होने से शेखावाटी में बीजेपी को काफी फायदा मिला और जाट मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा का ये कदम कारगर साबित हुआ। जानकारों के मुताबिक बेनीवाल के भाजपा के साथ आने का असर नागौर के अलावा जोधपुर, बाडमेर, राजसमंद, जालोर, पाली और अजमेर सीट पर भी पड़ा। चुनाव के दौरान कई जगहों पर बेनीवाल ने भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार भी किया था। 2019 में बेनीवाल ने राष्ट्रीय स्तर अपनी पार्टी को जमा लिया। अब एनडीए के घटक दल के रूप में वे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान चुके हैं।
Hanuman Beniwal And Modi
पीएम ने पीठ ठोककर दिया आशीर्वाद


चुनाव परिणाम के एक दिन बाद 25 मई 2019 को नागौर लोकसभा से रालोपा के नव निर्वाचित सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसद के सेंट्रल हॉल में एनडीए के नेता तथा देश के प्रधामनंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को चुनने के बाद उन्हें गुलदस्ता भेंट करके बधाई दी। इस अवसर पर पीएम मोदी ने राजस्थानी अंदाज में बेनीवाल की पीठ ठोककर आशीर्वाद दिया। हनुमान बेनीवाल ने भी मुठ्ठी बंद कर किला जीतने वाले अंदाज में मोदी से कुछ कहा। इस अवसर पर जारी प्रेस बयानों में हनुमान बेनीवाल ने कहा कि नागौर सहित प्रदेश की समस्याओं को संसद में उठाने में कोई कमी नहीं रखूंगा। इस दौरान राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि पीएम मोदी बेनीवाल को मंत्री पद से नवाजेंगे लेकिन समर्थकों को फिलहाल निराशा ही हाथ लगी। खेर, बेनीवाल का राजनीतिक सफर जारी है। जन समस्याओं के लिए वह आज भी पुरजोर तरीके से लड़ रहे हैं।

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