तीन साल पहले हुए सर्वे में यह थी जिले के भूजल की स्थिति
भूजल के स्तर के आंकड़ों पर ब्लॉकवार एक नजर (मीटर में)
पंचायत समिति वर्ष मानसून पूर्व भूजल स्तर वर्ष मानसून पूर्व भूजल स्तर भूजल घटा स्तर
डेगाना 2017 53.3 20121 55.82 -2.52
डीडवाना 2017 28.84 2021 29.13 -0.29
जायल 2017 56.6 2021 64.03 -7.42
खींवसर 2017 95.37 2021 104.49 -9.12
कुचामन 2017 62.69 2021 69.45 -6.76
लाडनू 2017 41.96 2021 42.05 -0.09
मकराना 2017 47.92 20121 49.06 -1.15
मेड़ता 2017 91.99 2021 93.51 -1.53
मौलासर 2017 54.48 2021 56.28 -1.8
मूण्डवा 2017 93.32 2021 97.93 -4.6
नागौर 2017 39.38 2021 40.98 -1.6
नावां 2017 33 2021 33.07 -0.07
परबतसर 2017 49.21 2021 49.18 0.03
रियाबड़ी 2017 32.85 2021 32.09 0.77
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2017 में भूजल स्तर का औसतन 55.77 मीटर था। यह औसत वर्ष 2021 में घटकर 58.36 मीटर तक तक पहुंच गया। औसतन -2.58 मीटर भूजल का स्तर घटा है।
एक नजर इस पर
जिले की सामान्यत: औसत वर्षा-380 मीटर
जलादोहन का औसत उपयोग-197.05
इनकी स्थिति
भूजल विभाग के अनुसार वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2020 ये 2021 तक में अतिदोहित ब्लॉक की संख्या कुल 13 तक हो गई थी। इसमें मेड़ता, मूण्डवा, परबतसर, रियाबड़ी एवं कुचामन के साथ ही डेगाना, डीडवाना, जायल, कुचामन, मकराना, मेड़ता, मूण्डवा, परबसतर व रियाबड़ी भी शामिल हो गया था। विभागीय अधिकारियों के अनुसार सर्वे पूरा होने के बाद ही अब पता चलेगा कि पहले अतिदोहित हुए ब्लॉकों में से किसकी, कितनी स्थिति सुधरी है।
इनका कहना है…
भूजल का स्तर पिछले कई सालों से लगातार घटा है। वर्षा से धरती के रिचार्ज होने के बाद भूजल उपयोग का औसत दोगुना से भी ज्यादा है। वर्तमान में भूजल की स्थिति के लिए जिले में सर्वे किया जा रहा है। सर्वे के बाद ही पता चलेगा कि पूर्व में अतिदोहित हुए ब्लॉकों में से किसकी हालत में सुधार हुआ है, और कहां स्थिति खराब हुई है।
आर. के. गोदारा, सहायक अभियंता भूजल विभाग