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नागौर

नागौर में खटारा वाहनों के भरोसे ‘लड़’ रहे आग से ‘जंग’

नगर परिषद की फायर ब्रिगेड पुराने व खटारा वाहनों से आग से जंग लड़ रही है, नई फायर मशीन के लिए विभाग की मनाही।

नागौरJan 16, 2018 / 07:28 pm

Dharmendra gaur

Nagaur News

nagaur fire brigade

नागौर. नगर परिषद Nagaur की फायर ब्रिगेड पुराने व खटारा वाहनों से आग से जंग लड़ रही है। करीब सवा लाख की आबादी वाले नागौर शहर के अलावा लगभग सौ किलोमीटर के दायरे तक पहुंच वाली दमकल टीम पन्द्रह साल पुराने वाहनों के दम पर लोगों को आग से राहत दे रही है। आगजनी की सूचना पर कई बार पुराने वाहन बीच रास्ते में ही जवाब दे देती है, ऐसे में आग से जंग लडऩे में कर्मचारियों के हाथ पांव फूल जाते हैं। गौरतलब है कि शनिवार को जयपुर में मौके पर पहुंची टीम दमकल में तकनिकी खराबी के कारण आग पर काबू नहीं पा सके।
दायरा बड़ा, संसाधन कम
जोधपुर जिले की सीमा पर सोयला, बीकानेर की सीमा पर सारुण्डा व श्रीबालाजी समेत नागौर जिले की सीमा से जुड़े चुरु व सीकर के गांवों तक नगर परिषद Nagaur की दमकल जाती है। नगर परिषद ने कंडम हो चुकी दमकल के स्थान पर नई गाडिय़ां देने का प्रस्ताव विभाग को भिजवाया लेकिन विभाग ने यह कहते हुए प्रस्ताव को निरस्त कर दिया कि नागौर शहर की आबादी के लिहाज से एक ही दमकल गाड़ी काफी है, जबकि यहां चार गाडिय़ां है। कहने को तीन गाडिय़ां व एक टेंक है लेकिन हकीकत में दो गाडिय़ां ही काम में आती है और कई बार रेतीले धोरों में ये गाडिय़ां जवाब दे जाती है।
परेशानियों से जूझ रही टीम
दमकल शाखा में करीब 15 कर्मचारी है, जो कि अलग-अलग पारी में काम करते हैं। कई बार ऐसा भी होता है जब दमकल एक स्थान पर आग पर बुझाने जाती है उसी दौरान दूसरी जगह पर आग लगने पर वहां पहुंचना दमकल टीम के लिए मुश्किल हो जाता है। कई बार चालकों व कर्मचारियों को ऑन कॉल बुलाना पड़ता है। मौजूदा टीम कम संसाधनों के कारण आपदाओं से जूझ रही है। पेट्रोल,डीजल की आग पर काबू पाने के लिए 20 लीटर फॉम (एक विशेष प्रकार के लिक्विड) 5 हजार लीटर पानी के बराबर काम करता है।

चार साल से खराब छोटी गाड़ी
आलम यह है कि शहर के भीतरी भाग में आग लग जाए तो वहां तक दमकल का पहुंच पाना मुश्किल होता है। हालांकि बाजार व संकरी गलियों में पहुंच आसान बनाने के लिए नगर परिषद ने एक छोटी गाड़ी खरीदी थी, लेकिन यह गाड़ी पिछले चार साल से धूल फांक रही है। इस गाड़ी की मरम्मत पर खर्च होने वाली राशि में नई गाड़ी खरीदी जा सकती है, ऐसे में इसकी मरम्मत कराने से परहेज किया जा रहा है। पुरानी हो चुकी गाडिय़ां दिन खराब हो जाती है। गत दिनों मानासर चौराहा पर एटीएम में लगी आग पर काबू पाने के लिए दमकलकर्मियों को गैराज से गाड़ी लानी पड़ी थी।
क्या है वाहन देने का नियम
भारत सरकार की स्टेडिंग फायर एडवायजरी कमेटी की ओर से निर्धारित मानदंडानुसार 50 हजार से 3 लाख की आबादी तक एक अग्निशमन वाहन जरुरी है। इसके बाद तीन लाख से अधिक प्रत्येक एक लाख की आबादी पर एक वाहन होना आवश्यक है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार नागौर की जनसंख्या 1 लाख 05 हजार 218 है, ऐसे में नियमानुसार यहां एक वाहन पर्याप्त है। नगर परिषद के निकटवर्ती ग्राम पंचायत बासनी की जनसंख्या 50 हजार से बाहर है। लेकिन ग्राम पंचायतों में दमकल का प्रावधान नहीं होने से ऐसी पंचायतों में नगर परिषद की दमकल ही काम में ली जाती है, लेकिन वाहन क्रय का आधार केवल नागौर शहर को माना जाता है।

मेरी जानकारी में नहीं
दमकल की गाडिय़ां ज्यादा पुरानी होने की बात मेरे ध्यान में नहीं है। वास्तव में गाडिय़ां उपयोग योग्य नहीं है, तो नई गाड़ी लाने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
डॉ. अमित यादव, आयुक्त, नगर परिषद, नागौर

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