ब्रह्मलीन आचार्य का मंगलवार दोपहर बाद रामधाम रेन परिसर में आचार्य परम्परा के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया। रेन दरियाव धाम के उत्तराधिकारी संत सज्जनराम महाराज के अनुसार ब्रह्मलीन हुए 8वें आचार्य गुरु महाराज के मोक्ष धाम पधारने पर दोपहर बाद बैकुंठ यात्रा निकाली गई। जिसमें बडी संख्या में श्रद़धालु एवं रामस्नेेेही संप्रदाय के अनुयायी शामिल हुुए .
गौरतलब है कि रेन स्थित दरियाव आश्रम भारत में रामस्नेही सम्प्रदायों के प्रमुख आश्रम में से एक है. बताया जाता है कि रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक संत दरियाव का जन्म स्थान पाली जिले के जैतारण में है, लेकिन जब वे सात वर्ष के थे, तब इनके पिता का देहांत हो गया. इसके बाद ये अपनी मां के साथ नागौर जिले में मेडता के निकट स्थित अपने ननिहाल रेन आ गए. उनका लालन पालन शिक्षा दीक्षा रेन में ही हुई . उन्होंने यहीं साधना की. उनके बाद इस संप्रदाय के शिष्यों ने भी यहीं उनके दर्शन को आगे बढाया.