दरअसल, वायरल वीडियो शामली शहर के एमएस के रोड स्थित चर्चित प्राइवेट आर्यन हॉस्पिटल का है, जिसका संचालन 8वीं पास युवक नरदेव पिछले काफी समय से करता आ रहा है। शहर का यह चर्चित हॉस्पिटल शहर के बीचों-बीच कूड़ाना बस स्टैंड के पास स्थित है। हाल ही में आर्यन हॉस्पिटल का एक स्टिंग वीडियो सोशल साइट्स पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है वीडियो आर्यन हॉस्पिटल का है, जिसमें कक्षा 8वीं पास आर्यन हॉस्पिटल का मालिक नरदेव सिंह एक मरीज का ऑपरेशन कर रहा है और एक महिला कंपाउंडर मरीज को एनएसथीसिया यानी बेहोशी का इंजेक्शन दे रही है। आप खुद अंदाज लगा सकते हैं कि किस तरह से लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
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एक स्थानीय भाजपा नेता ने भगा दिया था जांच टीम को
वीडियो के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। इस मामले में सीएमओ डॉ. राजकुमार ने बताया कि एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा वीडियो देकर शिकायत की गई थी। शिकायत के बाद जांच के लिए एसीएमओ डॉक्टर अशोक कुमार हांडा के नेतृत्व में विभाग की टीम आर्यन हॉस्पिटल पहुंची थी, लेकिन भाजपा का एक स्थानीय नेता वहां पहले से ही मौजूद था। जब स्वास्थ्य विभाग की टीम हॉस्पिटल में जांच के लिए पहुंची तो टीम को ऑपरेशन रूम में नहीं घुसने दिया गया। आरोप है कि वहां मौजूद भाजपा नेता ने एसीएमओ अशोक कुमार और स्वास्थ्य विभाग की टीम को ट्रांसफर कराने तक कि धमकी दे डाली। इसके बाद हॉस्पिटल स्टाफ व भाजपा नेता के विरोध को बढ़ता देख एसीएमओ अशोक कुमार व स्वास्थ्य विभाग की टीम को वहां से वापस लौटना पड़ा।
पहले भी सीज हो चुका है हॉस्पिटल
इस हॉस्पीटल के खिलाफ ये पहला मामला नहीं है, जब हॉस्पिटल पर इस तरह के आरोप लगे हों। इससे पहले भी तीन बार अनिमिताओं के चलते इसे सीज किया जा चुका है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण और जिला प्रशासन की साठ-गांठ के चलते कुछ समय बाद दोबारा यह चालू कर दिया जाता है।
एक साल में लगभग 25 मरीजों की हो चुकी है मौत
जानकारी के मुताबिक हॉस्पिटल में इलाज के दौरान करीब 1 साल में लगभग 22 से 25 मरीजों की मौत हो चुकी है, जिनमें से पांच मृतकों के परिजनों ने डॉक्टर और हॉस्पिटल के खिलाफ धारा 304 का मुकदमा भी दर्ज कराया है, जो कोर्ट में विचाराधीन है। वहीं, लोगों का आरोप है कि हॉस्पिटल में ऐसे डॉक्टरों को रखा गया है, जिनके पास किसी भी प्रकार की डिग्री नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जब हॉस्पिटल पहले भी सीज हो चुका है तो उस पर नियंत्रण क्यों नहीं है?