दरअसल ये तस्वीर उत्तर प्रदेश के जनपद मुज़फ़्फरनगर की है। मुजफ्फरनगर जिला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है। देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 120 किमी की दूरी पर स्थित मुजफ्फरनगर में एक व्यक्ति को सड़क किनारे पड़े रूखे-सूखे खाने को खाते हुए देखा गया है। कोरोना के चलते देश मे भले ही इंसानों की ज़िंदगी बचाने की जद्दोजहद चल रही हो मगर देश में एक ऐसा गरीब तबका भी है जिसे आमतौर पर दो जून रोटी तक नसीब नही होती।
दरअसल ये नजारा जनपद मुज़फ्फरनगर के थाना नई मंडी कोतवाली क्षेत्र के जानसठ बस स्टैंड के निकट का है। भीख मांगकर अपना पेट पालने वाले इस व्यक्ति को शायद लॉक डाउन की वजह से कहीं कुछ खाने पीने को नहीं मिला। इसी बीच ये व्यक्ति घूमता फिरता हुआ यहां पहुंच गया और इसकी नज़र इस सड़क किनारे पड़े खाने पर पड़ी। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि यह खाना किसी गरीब के लिए बंटने के लिए आया हाे इसे किसी ऐसे व्यक्ति ने ले लिया जिसे आवश्यकता नहीं थी और बाद में खाने काे सड़क पर फेंंक दिया।
भूखे व्यक्ति की पेट की आग देखिए इस व्यक्ति काे भूख ने इस क़दर मजबूर कर दिया कि वह सड़क किनारे पड़े खाने को उठाकर खाने के लिए मजबूर हाे गया। इस व्यक्ति काे जब खाना खाते हुए देखा ताे सड़क से गुजर रहे किसी व्यक्ति ने इसकी तस्वीर अपने माेबाइल फाेन के कैमरे में कैद कर ली। सवाल यह है कि केंद्र और प्रदेश सरकार गरीबों के खाने के लिए अरबों रुपए पानी की तरह बहा रही है और जिला प्रशासन को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे में यह तस्वीर सवाल उठाती है कि क्या आपात के समय में बनाई गई राशन वितरण प्रणाली ठीक काम कर रही है ?