आखिर क्यों किया बदलाव
इंडिया पोस्ट ने इस बदलाव का कारण बताते हुए कहा कि डिफ्रेंट फॉम्र्स के कारण फील्ड यूनिट्स और दूसरे स्टेकहो ल्डर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। कई स्कीम्स के लिए अलग फॉम्र्स की प्रिंटिंग और मौजूदगी में भी परेशानी हो रही थी। वैसे यह एक ऑपेरशनल इश्यू कार्रवाई है। इंडिया पोस्ट की ओर इस संबंध में 15 अप्रैल को सर्कुलर जारी किया था। जिसके अनुसार सभी फॉर्म का इस्तेमाल कोर बैंकिंग सॉल्युशन और नॉन-सीबीएस के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
इन कामों के लिए कॉमन फॉर्म का होगा यूज
– सर्टिफिकेट खरीदने या आकउंट ओपन का एप्लीकेशन फॉर्म अब नए इन्वेस्टमेंट के लिए भी होगा। एप्लीकेशन के साथ पे-इन-स्लीप के माध्यम से पेमेंट किया जा सकेगा।
– अकाउंट बंद करने के लिए भी कॉमन फॉर्म यानी एसबी-7 ए जारी हुआ है। इसकी मदद पीपीएफ, वरिष्ट नागरिक बचत योजना आदि के लिए मैच्योरिटी वक्त क्लोजर में यूज होगा।
– किसी अकाउंट को प्रीममैच्योर तौर पर क्लोज करने पर एसबी-7 बी फॉर्म का यूज होगा।
– एसबी-7 सी फॉर्म का इस्तेमाल डिपॉजिट अकाउंट, पीपीएफ अकाउंट या सुकन्या समृद्धि योजना के तहत लोन लेने या विड्रॉल करने के लिए होगा।
– इन तमाम स्कीम की मैच्योरिटी अवधि बढ़ाने के लिए भी एक नया कॉमन फॉर्म जारी हुआ है।
– पोस्ट ऑफिस सेविंग्स से नॉर्मल विड्रॉल, टर्म डिपॉजिट, सीनियर सीटिजन सेविंग स्कीम्स के लिए पहले जैसा ही विड्रॉल फॉर्म यूज होगा।
– रिवाइज्ड स्कीम्स रूल्स 2019 के तहत नोटिफाइड फॉम्र्स का इस्तेमाल करता है तो स्वीकार्य होगा।
पहले भी राहत दे चुकी है सरकार
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को देखते हुए पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना जैसे स्मॉल सेविंग्स योजनाओं के लिए डिपॉजिट नियमों में राहत दी है। केंद्र सरकार के अनुसार कोई निवेशक वित्त वर्ष 2019-20 तक अपने अकाउंट में डिपॉजिट नहीं करा सका है तो वो 30 जून 2020 तक डिपॉजिट करा सकते हैं। वहीं पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि स्कीम और पोस्ट ऑफिस रिकरिंग डिपॉजिट में भी किसी भी निवेशक ने 31 मार्च 2020 तक न्यूनतम डिपॉजिट नहीं जमा किया है तो उन्हें भी 30 जून तक की राहत मिली है। सरकार ने 31 मार्च तक मैच्योर होने वाले पीपीएफ अकाउंट्स की समयसीमा को बढ़ाते हुए 30 जून तक कर दिया है।