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वेटिंग पीरियड से लेकर क्लेम रिजेक्शन तक अक्टूबर से होने जा रहे हैं Health Insurance को लेकर बड़े बदलाव

बीमारियों के कवरेज का दायरा बढ़ेगा, सभी कंपनियों में कवर के बाहर वाली स्थाई बीमारियां समान होंगी
फार्मेसी, इंप्लांट और डायग्नोस्टिक एसोसिएट मेडिकल खर्च में शामिल नहीं होंगे, इन सब का मिलेगा पूरा क्लेम

Sep 29, 2020 / 10:14 am

Saurabh Sharma

Health Insurance Rules Change from 1st October 2020, Know All Changes

Health Insurance Rules Change from 1st October 2020, Know All Changes

नई दिल्ली। दो दिन के बाद इंश्योरेंस सेक्टर कुछ बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। यह बदलाव हेल्थ इंश्योरेंस ( Health Insurance ) में होने जा रहे हैं। एक तारीख से जहां इंंश्योरेंस कंपनियों पर लगाम लगेगी, वहीं दूसरी ओर आम लोगों को राहतों की सौगात दी जाएगी। यह बदलाव ऐसे समय में होने जा रहे हैं जब देश कोविड के कहर से जूझ रहा है, साथ ही इलाज के लिए लाखों रुपया खर्च कर रहा है। आज हर दुनिया में प्रत्येक 6वां भारतीय कोविड से त्रस्त है। यह रेश्यो काफी बड़ा और भारत के लिए काफी गंभीरता से विचार करने वाला हैै। बदले हुए नियमों के तहत वेटिंग पीरियड से लेकर क्लेम रिजेक्शन तक अक्टूबर से होने जा रहे हैं हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर बड़े कई बड़े और अहम बदलाव देखने को मिलेंगे। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर हेल्थ इंश्योरेंस के नियमों में किस तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

इस तरह के होंगे बदलाव
– हेल्थ इंश्योरेंस में बीमारियों की कवरेज का दायरा बढ़ाया जाएगा।
– सभी कंपनियों में कवर के बाहर वाली स्थाई बीमारियां समान देखने को मिलेंगी।
– कवर के बाहर वाली स्थाई बीमारियों की संख्या कम होकर 17 हो जाएंगी।
– किसी पॉलिसी में एक्सक्लूजन 17 होने पर प्रीमियम कम हो जाएगा।
– पॉलिसी में एक्सक्लूजन 30 से 17 होने पर प्रीमियम बढ़ जाएगा।
– नए प्रोडक्ट्स में 5 से 20 फीसदी प्रीमियम बढ़ सकता है।
– मानसिक, जेनेटिक बीमारी, न्यूरो जैसी गंभीर बीमारियों का कवर मिलेगा।
– न्यूरो डिसऑर्डर, ऑरल कीमोथेरेपी, रोबोटिक सर्जरी, स्टेम सेल थेरेपी भी कवर होंगे।

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कुछ इस तरह की होंगी शर्त
– डॉक्टर द्वारा 48 महीने पहले बताई गई बीमारी को प्री-एग्जिस्टिंग के दायरे में आएंगी।
– पॉलिसी के तीन महीने के अंदर लक्षण पर प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी मानी जाएगी।
– 8 साल तक प्रीमियम के बाद क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा और 8 साल पूरे होने पर कोई पुनर्विचार लागू नहीं होगा।

– 8 साल तक रीन्युअल करने के बाद गलत जानकारी का कोई बहाना नहीं चलेगा।

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रेश्यो में नहीं कट नहीं
– फार्मेसी, इंप्लांट और डायग्नोस्टिक एसोसिएट मेडिकल खर्च में नहीं होंगे शामिल, क्लेम में दिया जाएगा।
– क्लेम में आईसीयू चार्जेस के रेश्यो में कट नहीं लगेगा।
– एक से ज्यादा कंपनी की पॉलिसी होने पर ग्राहक के पास क्लेम चुनने का अधिकार।
– एक पॉलिसी की सीमा के बाद बाकी का क्लेम दूसरी कंपनी से लिया जा सकेगा।
– डिडक्शन हुए क्लेम को भी दूसरी कंपनी से लेने का अधिकार मिलेगा।
– 30 दिन में क्लेम स्वीकार या रिजेक्ट करना हो जाएगा जरूरी।
– टेलीमेडिसिन का खर्च भी क्लेम का हिस्सा बनाया जाएगा।
– एक कंपनी के प्रोडक्ट में माइग्रेशन तो पुराना वेटिंग पीरियड जुड़ेगा।
– ओपीडी कवरेज वाली पॉलिसी में टेलीमेडिसिन का पूरा खर्च दिया जाएगा।

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