उद्धव ठाकरे ने CM पद छोड़ने से पहले रांकपा-कांग्रेस से नहीं की थी चर्चा, शरद पवार का बड़ा खुलासा
पार्टी के अंदरूनी कलह में राज्यपाल को दखल नहीं देना चाहिए- SC
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाये है। राज्यपाल की कार्यशैली का जिक्र करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्यपाल ने यह निष्कर्ष निकाल कर गलती की कि उद्धव ठाकरे सदन में बहुमत खो चुके हैं। कोर्ट ने कहा, पार्टी के अंदरूनी कलह पर फ्लोर टेस्ट करना सही नहीं है। किसी पार्टी के आंतरिक विवाद में राज्यपाल को दखल नहीं देना चाहिए। पार्टी का झगड़ा सुलझाना राज्यपाल का काम नहीं है। फ्लोर टेस्ट यानी बहुमत परीक्षण नियमों के आधार पर होना चाहिए। उद्धव को बहुमत परिक्षण के लिए बुलाना सही नहीं था। शिवसेना के विधायकों ने एमवीए से हटने की इच्छा नहीं जताई थी।
राज्यपाल की कार्यशैली पर उठाये सवाल
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के पास महाविकास अघाडी (MVA) सरकार के विश्वास पर संदेह करने और फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने के लिए कोई तथ्य नहीं है। पीठ ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस और निर्दलीय विधायकों ने भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं रखा और राज्यपाल के विवेक का प्रयोग कानून के अनुसार नहीं था। कोर्ट ने कहा कि न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है।
‘उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया’
पीठ ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ताओं ने यथास्थिति बहाल करने का तर्क दिया है, हालांकि, ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। अगर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो स्थिती कुछ और होती। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे को राहत देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया।
7 जजों की बेंच करेगी सुनवाई
इससे पहले अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि नाबाम रेबिया केस की सुनवाई सात जजों की बड़ी बेंच करेगी। हालांकि इस पर फैसला आने में अभी लंबा समय लगेगा। साथ ही महाराष्ट्र मामले में बड़ी बेंच के निर्णय से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।