सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को शरद पवार गुट के लिए ‘तुतारी’ चुनाव चिन्ह आरक्षित (रिजर्व) करने का निर्देश दिया है, साथ ही यह चुनाव चिन्ह किसी अन्य पार्टी या उम्मीदवार को आवंटित नहीं करने को कहा है। शरद पवार गुट ने अजित पवार गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के रूप में मान्यता देने के चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस पर आज (19 मार्च) सुनवाई हुई।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को अंग्रेजी, हिंदी, मराठी मीडिया में एक सार्वजनिक नोटिस जारी करने और अपने सभी कैंपेन विज्ञापनों में यह उल्लेख करने का निर्देश दिया कि उन्हें आवंटित ‘घड़ी’ का चिन्ह अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है।
शीर्ष कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अजित पवार की एनसीपी न केवल महाराष्ट्र में बल्कि किसी अन्य राज्य में भी अपने चुनावी पोस्टरों में शरद पवार के नाम और तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। भारत निर्वाचन आयोग और महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।
गौरतलब हो कि वरिष्ठ नेता शरद पवार ने 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बनाई थी। लेकिन जुलाई 2023 में एनसीपी दो गुटों में विभाजित हो गई, जब अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी का एक गुट सत्तारूढ़ बीजेपी-शिवसेना सरकार में शामिल हो गया। इसके बाद एनसीपी के दोनों धड़ों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा ठोका।
कई महीनों तक सुनवाई करने के बाद चुनाव आयोग ने 23 फरवरी को अजित पवार गुट को असली एनसीपी का दर्जा दिया और घड़ी निशान सौंपा। जबकि पार्टी के संस्थापक शरद पवार को नया नाम ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी – शरद चंद्र पवार’ और चुनाव चिह्न ‘तुतारी’ आवंटित किया। हालांकि, आयोग ने फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव के लिए शरद पवार खेमे को नए नाम और चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। और यह शरद पवार गुट के लिए रिजर्व नहीं किया था।