एक कर्मचारी ने कहा कि नवंबर से हम हड़ताल पर हैं। धरना-प्रदर्शन शुरू होने के बाद से 120 से ज्यादा कर्मचारी खुदकुशी कर चुके हैं। यह आत्महत्या नहीं बल्कि मर्डर है, जिसके लिए महाविकास आघाडी सरकार (एमवीए) की गलत नीतियां जिम्मेदार हैं। एमवीए में शिवसेना के लिए एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं। सरकार में अहम भूमिका निभाने के बावजूद पवार ने हमारे लिए कुछ नहीं किया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने हमें 22 अप्रेल तक ड्यूटी पर लौटने को कहा है। हम अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं। हमारी मांगें अब भी पूरी नहीं हुई हैं। कर्मचारियों को हुए नुकसान के लिए पवार जिम्मेदार हैं।
ड्यूटी पर आए तो कार्रवाई नहीं
हाई कोर्ट के फैसले के बाद परिवहन मंत्री अनिल परब ने हड़ताली कर्मचारियों को काम पर लौटने का अनुरोध किया है। परब ने भरोसा दिया है कि जो कर्मचारी ड्यूटी ’वाइन करेंगे, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि उनकी वाजिब मांगों पर सरकार सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रही है। यात्रियों के हित में हड़ताल खत्म होनी चाहिए। इससे खासतौर पर महिलाओं और विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।