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मुंबई

कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करते थे बालासाहेब ठाकरे, इन 5 विवादों से रहा गहरा नाता

Balasaheb Thackeray Jayanti: बाला साहेब ठाकरे एक प्रखर नेता के रूप में जाने जाते थे, जो खुलकर अपनी बात रखते थे।

मुंबईJan 23, 2024 / 05:27 pm

Dinesh Dubey

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बालासाहेब ठाकरे की 98वीं जयंती आज

Bal Thackeray Controversy: शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की आज 98वीं जन्म जयंती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं ने बालासाहेब को श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने बाल ठाकरे को उनकी जयंती पर याद करते हुए कहा कि बालासाहेब एक महान व्यक्तित्व थे जिनका महाराष्ट्र के राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य पर अद्वितीय प्रभाव है।
महाराष्ट्र में कट्टर हिंदुत्व वाली राजनीति के अगुआ रहे बालासाहेब ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 में पुणे में केशव सीताराम ठाकरे के घर हुआ था। उनका निधन 17 नवंबर 2012 को मुंबई में कार्डियक अरेस्ट से हुआ था। बालासाहेब ने 86 वर्ष की उम्र में भले ही दुनिया को अलविदा कह दिया हो, लेकिन आज भी वें अनगिनत लोगों के दिलों में बसते हैं।
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ऐसे शुरू हुआ सियासी सफर

बाल केशव ठाकरे को बालासाहेब ठाकरे के नाम से भी जाना जाता है। उनके पिता केशव ठाकरे एक सामाजिक कार्यकर्ता थे और “प्रबोधन” नाम से एक मैगज़ीन चलाते थे। वे उस आंदोलन का हिस्सा थे, जिसने 1950 के दशक में महाराष्ट्र राज्य बनाने में मदद की थी।

मराठियों की आवाज बने

बालासाहेब ने शुरुआत में मुंबई में एक अंग्रेजी अखबार में एक राजनीतिक कार्टूनिस्ट के रूप में काम किया और बाद में ‘मार्मिक’ नामक एक राजनीतिक पत्रिका शुरू की। जिसमें महाराष्ट्र और विशेष रूप से मुंबई में रहने वाले मराठी भाषी युवाओं से संबंधित मुद्दों को उठाया।

गुजरातियों, दक्षिण भारतीयों के खिलाफ अभियान चलाया

बाल ठाकरे ने एक कार्टूनिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। बाद में उन्होंने अपने कार्टूनों के जरिये महाराष्ट्र में बढ़ते गैर-मराठी समुदायों के खिलाफ आवाज बुलंद की। विशेष रूप से गुजराती और दक्षिण भारतीयों के खिलाफ अभियान चलाया। उन्होंने राज्य की राजनीति में महाराष्ट्रियों के हितों की वकालत करने के लिए शिवसेना पार्टी की स्थापना की। इस तरह प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट के साथ उनका सियासी सफर शुरू हुआ।

अयोध्या राम मंदिर के कट्टर समर्थक थे

हिंदू हृदय सम्राट माने जाने वाले बालासाहेब ठाकरे राम मंदिर आंदोलन के एक बड़े नेता थे। उन्होंने अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस और उस स्थान पर राम मंदिर के निर्माण का दृढ़ता से और खुले तौर पर समर्थन किया था। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी विध्वंस में उनकी भी हाथ माना जाता है। लेकिन उस दिन बालासाहेब खुद बाबरी विध्वंस स्थल पर मौजूद नहीं थे, लेकिन कहा जाता है कि वें इसकी योजना बनाने में शामिल थे। इसलिए शिवसैनिक बाबरी विध्वंस में गए थे।

पत्रकार के सवाल पर बोले- ‘हाथ नहीं, पांव था..’

वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने आज बालासाहेब को उनकी जयंती पर याद करते हुए ट्वीट कर कहा, “हिंदू हृदय सम्राट माने जाने वाले बालासाहेब ठाकरे को उनकी जयंती पर नमन। वह अयोध्या में भव्य राम मंदिर देखने के लिये बेताब थे। ‘आप की अदालत’ में मैंने उनसे पूछा, बाबरी मस्जिद गिराने में आप का हाथ था? उन्होंने तुरंत ही कहा, “हाथ नहीं, पाँव था” । उनकी बेबाक़ी कमाल की थी। आज वो होते तो रामलला को टाट से ठाठ में पहुँचते देख कर वह बहुत प्रसन्न होते। दिव्य राम मंदिर के लिये नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद देते।”

परप्रांतीय बनाम मराठी मानुष विवाद

बाल ठाकरे तब विवादों में घिर गए जब उन्होंने मुंबई में रहने वाले गुजरातियों, मारवाड़ियों और दक्षिण भारतीयों के खिलाफ अभियान चलाया। उन्होंने अन्य राज्यों के निवासियों पर मराठी लोगों की नौकरियां छीनने और मूल मुंबईकरों को उनकी आजीविका के स्रोत से वंचित करने का आरोप लगाया।
बाद में बालासाहेब की अगुवाई में शिवसेना ने उत्तर भारतीयों, विशेषकर यूपी और बिहार के लोगों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्हें मुंबई का घुसपैठिया बताया गया। 2008 में बाल ठाकरे ने एक बिहारी, सौ बिमारी शीर्षक से एक संपादकीय छापा था जिसमें कहा गया था कि बिहारवासी महाराष्ट्र में ‘एक अवांछित समूह’ हैं।

हिटलर की तारीफ की

इस बीच, तानाशाह एडोल्फ हिटलर की प्रशंसा के कारण भी बाल ठाकरे विवादों में आ गए थे।रिपोर्ट्स के मुताबिक ठाकरे ने कहा था, “मैं हिटलर का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं, और मुझे ऐसा कहने में कोई शर्म नहीं आती है! मैं यह नहीं कहता कि मैं उसके द्वारा अपनाए गए सभी तरीकों से सहमत हूं, लेकिन हिटलर एक अद्भुत संगठनकर्ता और वक्ता था, और मुझे लगता है कि हिटलर और मुझमें कई चीजें समान हैं।”

भारत-पाक मैच का विरोध

बाल ठाकरे ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों का भी खूब विरोध किया है। उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि वे देश में कहीं भी भारत-पाक का मैच नहीं होने दें।
बाला साहेब एक प्रखर नेता के रूप में जाने जाते थे, जो खुलकर अपनी बात रखते थे। हिंदुत्व के कट्टर समर्थक होने के अलावा, वह हमेशा महाराष्ट्रीयन के लिए मजबूती से खड़े रहे। इसीलिए वह आज भी अनगिनत लोगों के दिलों में बसते हैं।

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