मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुनील राउत 2019 में एमवीए गठबंधन के गठन के बाद बनी उद्धव सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से खुश नहीं है। सूत्रों ने यह भी कहा कि सुनील पिछले दो दिनों से विद्रोही समूह तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, बागी विधायकों का एक वर्ग उन्हें अपने साथ लेने के पक्ष में नहीं है। इसलिए शिंदे गुट अभी तक सुनील को अपने साथ शामिल करने को लेकर कोई निर्णय नहीं ले सका है।
बताया जाता है कि ढाई साल पहले महाराष्ट्र में एमवीए सरकार के गठन के दौरान संजय राउत ने भी अपने विधायक भाई को कैबिनेट में जगह दिलाने की पूरी कोशिश की थी। दरअसल शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के संयोजन वाली एमवीए सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन उनके भाई सुनील राउत को उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार में जगह नहीं मिली।
बता दें कि संजय राउत ने रविवार को बागियों को विधायक पद छोड़ने और नए चुनाव का सामना करने की चुनौती दी, लेकिन यह भी कहा कि जो लोग वापस लौटना चाहते हैं उनके लिए पार्टी के दरवाजे खुले हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि एमवीए सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है।
एकनाथ शिंदे फिलहाल 40 से अधिक शिवसेना और निर्दलीय विधायकों के समूह के साथ असम में डेरा डाले हुए हैं। शिवसेना ने रविवार को कहा कि उन्होंने 16 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है और उन्हें अयोग्यता का नोटिस भी दिया गया है। इसके बावजूद उदय सामंत शिंदे खेमे में शामिल होने वाले एमवीए सरकार में नौवें मंत्री बन गए हैं।