जानकारी के मुताबिक, इलाके में भारी बारिश हो रही है, जिससे बचाव कार्य में भी बाधाएं आ रही हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड व स्थानीय प्रशासन की टीमें बचाव कार्य में लगे हुए हैं। की चार टीम स्थानीय अधिकारियों के साथ बचाव कार्य में लगी हुई हैं। इरशालवाडी गांव पहाड़ी क्षेत्र में मौजूद होने की वजह से वहां जेसीबी आदि भारी मशीनों को वहां नहीं ले जाया जा सकता। आज दोपहर में खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे 2-3 किमी चलकर पहाड़ी के ऊपर घटनास्थल पर गए।
बताया जा रहा है कि इरशालवाडी गांव में करीब 48 परिवारों के 220 से ज्यादा लोग रहते थे। यह एक आदिवासी गांव है और दुर्गम इलाका होने की वजह से यहां कोई पक्की सड़क तक नहीं है। यह गांव माथेरान और पनवेल के बीच स्थित इरशालगढ़ किले के पास स्थित है। सरकार ने हादसे से प्रभावित ग्रामीणों के रहने और खाने की व्यवस्था की गई है। खबर है कि वहां 50 से 60 कंटेनर मंगवाए गए है।
आपदा प्रबंधन मंत्री अनिल पाटिल (Anil Patil) भी इरशालवाडी में मौजूद है। उन्होंने कहा, “बचाव अभियान जारी है। बारिश के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किल हो रहा है लेकिन हम लगातार काम कर रहे हैं। अब तक 178 लोगों में से 98 लोगों को बचाया जा चुका है और 12 लोगों की मौत हो चुकी है। मुख्यमंत्री भी स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं। हमने यहां बचाए गए लोगों के लिए भी रहने-खाने की व्यवस्था की है। बाद में ग्रामीणों को किसी और स्थान पर बसाया जायेगा।”