महाराष्ट्र में बेबस हुआ किसान… 3500 किलो प्याज बेचने पर नहीं मिला 1 भी रुपया, उल्टा व्यापारी ने मांगे 1800 रुपये
किसान नाराज
केंद्र सरकार द्वारा प्याज पर निर्यात शुल्क बढ़ाकर 40 फीसदी किए जाने से राज्य में प्याज किसान और व्यापारी आक्रामक हो गए हैं। उन्हें शुल्क की वजह से भविष्य में निर्यात कम होने की वजह से खुदरा बाजार में प्याज की कीमत कम होने का डर सता रहा है। दावा किया जा रहा है कि केंद्र के इस फैसले से किसानों को बड़ा नुकसान होने वाला है।
14 बाजार समितियों में प्याज की नीलामी बंद
इसलिए केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में नासिक जिले की 14 बाजार समितियां आज से अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी गई हैं। नासिक जिला प्याज व्यापारी संघ की लासलगांव (Lasalgaon Bajar Samiti) में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। आज से यहां प्याज की नीलामी प्रक्रिया बंद हो गयी है।
अरबों का कारोबार करने वाले लासलगांव में सन्नाटा
लासलगांव बाजार समिति को एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी के रूप में जाना जाता है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक और टेम्पो प्याज लेकर आते हैं। करोड़ों का लेन-देन होता है। लासलगांव बाजार समिति में किसानों, व्यापारियों, निर्यातकों की हमेशा भीड़ लगी रहती है। प्याज की नीलामी के लिए आने वाले ट्रैक्टर, टेंपो आदि वाहनों से बाजार समिति भरा रहता है। नासिक की लासलगांव बाजार समिति की मानें तो यहां सालाना आवक 96 लाख 25 हजार 838 क्विंटल है, जबकि इस बाजार समिति का कारोबार 9 अरब 20 करोड़ 49 लाख 63 हजार रुपये से अधिक है। लेकिन आज यहां सन्नाटा पसरा हुआ है।
निर्यात शुल्क क्यों लगाया गया?
टमाटर के बाद प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया है। इससे प्याज की घरेलू उपलब्धता बढ़ जाये। प्याज पर 31 दिसंबर 2023 तक यह शुल्क जारी रहेगा। वहीँ, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि समाधान खोजने के लिए वह मंगलवार को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से बात करेंगे।