scriptमुस्लिम महिला दोबारा शादी करने पर भी भरण-पोषण की हकदार, बॉम्बे HC का बड़ा फैसला | Muslim woman entitled to maintenance even if she remarries says Bombay High Court | Patrika News
मुंबई

मुस्लिम महिला दोबारा शादी करने पर भी भरण-पोषण की हकदार, बॉम्बे HC का बड़ा फैसला

Muslim Woman Divorce: दंपति की शादी फरवरी 2005 में हुई थी और दिसंबर 2005 में एक बेटी का जन्म हुआ।

मुंबईJan 07, 2024 / 09:55 pm

Dinesh Dubey

bombay_high_court_muslim_women_talaq.jpg

बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला

Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है। भले ही महिला ने दोबारा शादी की हो, लेकिन उसे मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम (एमडब्ल्यूपीए) 1986 के तहत पूर्व पति को भरण-पोषण देना पड़ेगा।
जस्टिस राजेश पाटिल ने अपने 2 जनवरी के फैसले में कहा, पति-पत्नी के बीच तलाक का तथ्य ही पत्नी के लिए भरण-पोषण का दावा करने के लिए पर्याप्त है। कोर्ट ने पूर्व पत्नी को एकमुश्त गुजारा भत्ता देने के दो आदेशों की पति की चुनौती को भी खारिज कर दिया।
यह भी पढ़ें

‘पिता को बहुत गुस्सा आता है’, बॉम्बे हाईकोर्ट ने मां को सौंपी बच्चे की कस्टडी, फैसले में कही बड़ी बात

दंपति की शादी फरवरी 2005 में हुई थी और दिसंबर 2005 में एक बेटी का जन्म हुआ। इस बीच पति काम के लिए विदेश चले गया। जिसके बाद जून 2007 में पत्नी अपनी बेटी को लेकर अपने माता-पिता के साथ रहने चली गईं। अप्रैल 2008 में पति ने उसे रजिस्टर्ड पोस्ट से तलाक दे दिया। इसके बाद पत्नी ने खुद के लिए और अपनी बेटी के लिए एमडब्ल्यूपीए के तहत भरण-पोषण के लिए आवेदन किया।
अगस्त 2014 में चिपलुन मजिस्ट्रेट ने महिला को 4.3 लाख रुपये का गुजारा भत्ता देने का फैसला सुनाया। मई 2017 में खेड सेशन कोर्ट ने इसे बढ़ाकर 9 लाख रुपये कर दिया। याचिकाकर्ता की तरफ से बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया गया कि पत्नी ने अप्रैल 2018 में पुनर्विवाह किया और अक्टूबर 2018 में तलाक हो गया। पति के वकील ने तर्क दिया कि महिला को गुजारा भत्ता देने के लिए पति उत्तरदायी नहीं है क्योंकि उसने फिर शादी की। साथ ही, वह पुनर्विवाह होने तक ही इस राशि की हकदार थी। हालांकि जस्टिस पाटिल ने इन दलीलों को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा, अधिनियम का मकसद मुस्लिम महिलाओं की निराश्रयता को रोकने और तलाक के बाद भी सामान्य जीवन जीने के उनके अधिकार को सुनिश्चित करना है। यह सभी तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं की रक्षा करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए है।

Hindi News / Mumbai / मुस्लिम महिला दोबारा शादी करने पर भी भरण-पोषण की हकदार, बॉम्बे HC का बड़ा फैसला

ट्रेंडिंग वीडियो