2019 के लोकसभा चुनाव में अविभाजित शिवसेना और बीजेपी गठबंधन ने महाराष्ट्र में 41 सीटें जीती थीं। हालांकि, एग्जिट पोल की मानें तो इस बार महायुति के लिए 40 सीटों का आंकड़ा छू पाना मुश्किल लग रहा है। जबकि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) ने 40 से ज्यादा सीटों पर जीत का परचम फहराने के लिए कड़ी तैयारी की थी।
राष्ट्रीय मीडिया चैनलों के एग्जिट पोल में महायुति को ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। जबकि क्षेत्रीय मीडिया चैनलों के एग्जिट पोल में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को सत्तारूढ़ गठबंधन से अधिक सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई है। क्षेत्रीय चैनलों के एग्जिट पोल के मुताबिक, महायुति को 22-23 सीटें मिलेंगी, जबकि एमवीए 24-26 सीटें जीत सकती है। बीजेपी को 13-18, एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना को 4-6, अजित पवार की एनसीपी को 0-2 सीटों पर सफलता मिल सकती है। वहीँ, एमवीए गठबंधन में शामिल उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 9-14, कांग्रेस को 3-8, एनसीपी (शरद पवार) को 4-6 और निर्दलीय को 1 सीट मिलने का अनुमान है।
दूसरी ओर, राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के एग्जिट पोल ने अनुमान लगाया कि लोकसभा चुनाव 2024 में महायुति को 30-35 सीटें और एमवीए को 15-18 सीटें मिलेंगी। ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र में बीजेपी को बड़ा झटका लगेगा। इससे महायुति खेमे में टेंशन बढ़ गई है। इससे महायुति खेमे में टेंशन बढ़ गई है। वहीं, कांग्रेस के दहाई का आंकड़ा पार करने की उम्मीद नहीं है।
वहीँ, मुंबई सट्टा बाजार के अनुसार महाराष्ट्र में बीजेपी नीत गठबंधन की सीटें घटेंगी, यानी महायुति का ‘मिशन 45’ सफल नहीं होगा। महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव को लेकर सट्टा बाजार को उम्मीद है कि सत्तारूढ़ महायुति को 48 में से 30 सीटें मिलेंगी। जो कि सत्तारूढ़ गठबंधन की उम्मीद से काफी कम है। विपक्षी खेमे में शिवसेना (यूबीटी) यानी उद्धव ठाकरे गुट को सबसे अधिक सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।
मालूम हो कि महाराष्ट्र में ‘महायुति’ में सत्तारूढ़ बीजेपी, सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) अजित पवार गुट शामिल हैं। जबकि एमवीए गठबंधन में कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (उद्धव गुट) है। जबकि एमवीए के तीनों दल ‘इंडिया’ गठबंधन का भी हिस्सा है।
(डिस्क्लेमर: पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे सट्टेबाजी से दूर रहें। इस खबर का मकसद सिर्फ विभिन्न राजनीतिक दलों को लेकर सट्टा बाजार में चल रहे रुझान को बताना है। ‘पत्रिका’ इन अनुमानों की पुष्टि नहीं करता है। साथ ही किसी भी तरह से सट्टेबाजी को बढ़ावा और समर्थन नहीं करता है।)