शरद पवार ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए उन पर मणिपुर में हिंसा रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया। पिछले साल से मणिपुर में दो आदिवासी समूह – कुकी और मैतेई जातीय हिंसा की आग में जल रहे हैं।
नवी मुंबई में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रविवार को पवार ने कहा, “जो मणिपुर में हुआ.. पड़ोसी राज्यों में भी वैसा हुआ.. ऐसा कर्नाटक में भी हुआ है… और हाल के दिनों में चिंता थी कि महाराष्ट्र में भी ऐसा होगा। भाग्यवश महाराष्ट्र में कई दिग्गजों की विरासत है जिन्होंने सद्भाव और समानता को बढ़ावा दिया है।“
वरिष्ठ पवार की यह टिप्पणी महाराष्ट्र में आरक्षण को लेकर मराठों और ओबीसी के बीच बढ़ते असंतोष के बीच आई है। हालांकि, एनसीपी नेता ने सीधे तौर पर अपने भाषण में मराठा आरक्षण का जिक्र नहीं किया।
इससे पहले शनिवार को शरद पवार ने आरक्षण को लेकर समुदायों के बीच दरार पड़ने पर चिंता जताई और कहा कि महाराष्ट्र सरकार को सभी हितधारकों के साथ अधिक बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “कोटे को लेकर हितधारकों के साथ जो बातचीत होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई है। मुख्यमंत्री लोगों के एक समूह के साथ बातचीत करते हैं, जबकि सरकार के बाकि लोग अलग समूहों के साथ बातचीत करते हैं। इससे गलतफहमी पैदा होती है।“
पिछले हफ्ते एनसीपी-एसपी के मुखिया शरद पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी। इस दौरान मराठा और ओबीसी समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर उपजे तनाव पर चर्चा की।