नीतीश कुमार का राजनीतिक अंत! जनता दे श्रद्धांजलि, JDU मुखिया पर बिफरा उद्धव गुट, खूब सुनाया
‘पिस्तौल से निकली गोली थी अलग’
76 साल पहले दुनिया की राजनीति बदल देने वाली एक घटना घटी थी, जिसका दाग स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर पर भी लगा। कहा जाता है कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी। मैंने कपूर कमीशन की रिपोर्ट का अध्ययन करना शुरू किया। उस रिपोर्ट को कांग्रेस सरकार ने न तो नकारा है और न ही स्वीकार किया है। नाथूराम गोडसे का क्रॉस वेरिफिकेशन भी नहीं किया गया। महात्मा गांधी की मौत नाथूराम गोडसे द्वारा चलाई गई पिस्तौल की गोली से नहीं हुई थी। क्योंकि उनके पिस्तौल से चली गोली का आकार अलग था। मैंने यह सब अध्ययन किया है।
‘पुलिस ने ठीक से नहीं की जांच’
2 फीट से ऐसी गोलियां चलाना संभव नहीं है और गोली का एंगल भी अलग था। जिस फायरिंग पर फोरेंसिक रिपोर्ट तैयार की गई है, उससे बड़े खुलासे होते है। पुलिस ने फर्जी पंचनामा बनाया है। पुलिस ने ठीक से जांच नहीं की। ये सब बातें मैंने अपनी किताब में लिखी है।
‘नेहरू परिवार को फायदा हुआ’
यह 100 प्रतिशत सच है कि नाथूराम गोडसे गांधीजी को मारने आया था, यह भी 100 प्रतिशत सच है कि गोडसे ने गोली मारी। लेकिन गांधीजी की मौत नाथूराम गोडसे की पिस्तौल की गोली से नहीं हुई थी। बाद में इस मामले की ठीक से जांच नहीं की गई। जिस वजह से इस हत्या से नेहरू परिवार को फायदा हुआ। लोगों को ये सवाल उठाने चाहिए।
‘लोगों को जांच की मांग करनी चाहिए’
रंजीत सावरकर ने कहा, मैं खुद केंद्र से जांच की मांग नहीं करूंगा, लेकिन लोगों को यह मांग करनी चाहिए। मुझ पर इससे संबंधित पुस्तक को प्रकाशित न करने का दबाव डाला गया। कई प्रकाशकों ने अंतिम समय में मेरी पुस्तक प्रकाशित करने से इनकार कर दिया था। लेकिन यह पुस्तक मैंने स्वयं प्रकाशित की।