ठाकरे-शिंदे गुट की दलीलों को सुनकर ‘दुविधा’ में पड़ा सुप्रीम कोर्ट! CJI ने की यह अहम टिप्पणी
पांच-जजों की संविधान पीठ में जस्टिस एम आर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा भी हैं। पीठ ने अरुणाचल प्रदेश से जुड़े नबाम रेबिया मामले को लेकर तीन दिन तक लगातार दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आज कहा कि इस (नबाम राबिया) मामले में पुराने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए इसे एक बड़ी संविधान पीठ को संदर्भित करने के ठाकरे समूह के अनुरोध पर 21 फरवरी को होने वाली सुनवाई में विचार किया जाएगा।क्या है नबाम रेबिया मामला?
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2016 में नबाम रेबिया बनाम डिप्टी स्पीकर मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि यदि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिये पहले दिये गए नोटिस पर सदन में निर्णय लंबित है, तो विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर आगे की कार्यवाही नहीं कर सकते।
7 जजों की संविधान पीठ के पास भेजने की मांग क्यों?
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट (Uddhav Thackeray) का पक्ष रखे रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने नबाम रेबिया केस के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। उन्होंने कहा कि इसमें दिया हुआ फैसला दलबदलू विधायकों के पक्ष में जाता है और वे अपने खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही को रोकने के लिए अध्यक्ष को हटाने की मांग करने वाला नोटिस भेज सकते है। नबाम रेबिया केस के फैसले से इसकी अनुमति मिलती है।