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मुंबई

Maharashtra: सरपंच और उपसरपंच चुनाव पर हाईकोर्ट का अहम आदेश, अगले महीने है वोटिंग

Maharashtra Panchayat Election: किसी भी पंचायत सदस्य द्वारा मांग किए जाने पर सरपंच और उप-सरपंच का चुनाव गुप्त मतदान द्वारा कराने का प्रावधान है।

मुंबईOct 23, 2023 / 08:16 pm

Dinesh Dubey

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बॉम्बे हाईकोर्ट

Bombay High Court on Maharashtra Panchayat Chunav: महाराष्ट्र ग्राम पंचायत चुनाव नवंबर महीने में होने वाले है। इसी महीने निर्वाचन आयोग ने प्रदेशभर में 2 हजार 359 ग्राम पंचायतों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की। इसके साथ ही रिक्त 2 हजार 950 सदस्य पद और 130 सरपंच के उप-चुनाव की तारीखों का भी ऐलान किया। सभी जगहों पर 5 नवंबर 2023 को मतदान होगा। जबकि वोटों की गिनती 6 नवंबर को होगी। इस बीच, पंचायत चुनाव को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सरपंच और उप-सरपंच का चुनाव गुप्त मतदान द्वारा किया जाना चाहिए। कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, भले ही बैठक में उपस्थित केवल एक पंचायत सदस्य हाथ उठाकर गुप्त मतदान के माध्यम से चुनाव का अनुरोध करता हो। भले ही बैठक में उपस्थित केवल एक पंचायत सदस्य गुप्त मतदान के माध्यम से चुनाव कराने का अनुरोध करता हो तो भी अधिकारी हाथ उठाकर सरपंच या उप-सरपंच का चुनाव नहीं करवा सकते है।
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औरंगाबाद पीठ के न्यायमूर्ति किशोर संत ने कहा कि चुनाव कराने का तरीका बहुमत की राय के आधार पर तय नहीं किया जा सकता। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने हाथ उठाकर कराए गए गांव के उप-सरपंच चुनाव को रद्द करने के आदेश को बरकरार रखा। दरअसल एक पंचायत सदस्य के गुप्त मतदान के अनुरोध के बावजूद हाथ उठाकर बहुमत जांचा गया और गांव का उप-सरपंच चुना गया था।

क्या है मामला?

यह विवाद महाराष्ट्र के जालना जिले के ग्राम पांगरी से जुड़ा है। जहां ग्रामपंचायत के 11 सदस्यों के पद के लिए जनवरी 2021 में चुनाव हुए से थे। गांव का सरपंच का पद अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित था। सरपंच और उप-सरपंच के चुनाव के दौरान प्रतिवादी राजेंद्र पवार ने गुप्त मतदान द्वारा वोटिंग की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया। लेकिन पीठासीन अधिकारी ने पंचायत सदस्य राजेंद्र पवार का आवेदन खारिज कर दिया और चुनाव को हाथ उठाकर कराया गया। इसमें याचिकाकर्ता आरती पवार को उप-सरपंच चुना गया।
इसके बाद चुनाव प्रक्रिया को चुनौती देते हुए एक विवाद दायर किया गया था। जिसके बाद कलेक्टर ने माना कि याचिकाकर्ता का उप-सरपंच पद पर चुनाव अवैध था और इसे रद्द कर दिया। जबकि अतिरिक्त संभागीय आयुक्त ने भी याचिकाकर्ता की अपील खारिज कर दी। इसके बाद उप-सरपंच आरती पवार ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की।

याचिकाकर्ता ने क्या दलील दी?

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि गुप्त मतदान का आवेदन सरपंच पद के लिए था, न कि उप-सरपंच के लिए। चूंकि सरपंच पद के लिए केवल एक नामांकन प्राप्त हुआ था, इसलिए उस पद के लिए मतदान की आवश्यकता नहीं थी। याचिकाकर्ता के अनुसार, आवेदन की अस्वीकृति केवल सरपंच पद के लिए थी, न कि उप-सरपंच के लिए थी।
हालांकि बैठक के विवरण से पता चला कि प्रतिवादी के आवेदन पर विचार किया गया था, लेकिन सरपंच परमेश्वर मानकर ने हाथ उठाकर मतदान की मांग की। अधिकांश पंचायत सदस्य भी हाथ उठाकर मतदान चाहते थे। जिसके बाद पीठासीन अधिकारी ने हाथ उठाकर मतदान कराने का निर्णय लिया। हालांकि बहुमत होने के बाद भी राजेंद्र पवार ने हाथ उठाकर वोटिंग नहीं कराने की मांग की।
नियम के मुताबिक, बैठक में उपस्थित किसी भी सदस्य द्वारा मांग किए जाने पर सरपंच और उप-सरपंच का चुनाव गुप्त मतदान द्वारा कराने का प्रावधान है।

उपसरपंच की याचिका खारिज

कोर्ट ने कहा कि चूंकि राजेंद्र पवार ने गुप्त मतदान के लिए आवेदन तब दिया था जब यह पहले ही स्पष्ट हो गया था कि सरपंच के लिए केवल एक ही उम्मीदवार है और इसलिए सरपंच के लिए कोई चुनाव नहीं होगा। इस प्रकार उन्होंने उप-सरपंच का चुनाव गुप्त मतदान से कराने के लिए आवेदन दिया था।
कोर्ट ने कहा कि जब बैठक में उपस्थित कोई भी सदस्य गुप्त मतदान द्वारा मतदान की मांग करता है, तो पीठासीन अधिकारी के लिए गुप्त मतदान द्वारा चुनाव कराना अनिवार्य होता है। इसके आधार पर कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि गुप्त मतदान के लिए आवेदन की अस्वीकृति नियम का उल्लंघन था। अदालत ने कलेक्टर और अतिरिक्त संभागीय आयुक्त के आदेश को बरकरार रखते हुए उप-सरपंच आरती पवार की याचिका को खारिज कर दिया।
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