पूरे गांव ने यह जश्न ऐसे मनाया जैसे उनके परिवार में किसी के घर बच्चा पैदा हुआ है। गांववालों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इतना ही नहीं गांव की महिलाओं ने कुतिया और उसके बच्चों की पूरी देखभाल की जिम्मेदारी ली। इसके बाद हाल ही में गांव के रविंद्र प्रधान और मनोज सहारे ने अपने खर्चे पर कुत्तों के बच्चों का नामकरण पूरे धूमधाम से किया।
बता दें कि इस गांव के प्रधान ने कुत्ते के बच्चों के नामकरण प्रोग्राम करने के लिए पहले एक बैठक बुलाई। इसके बाद गांव के हनुमान मंदिर के परिसर में नामकरण समारोह करने का निर्णय लिया गया। जिस में पूरे गांव के लोगों को भोज के लिए न्योता भी दिया गया। सजावट से लेकर गाजे-बाजे की भी व्यवस्था की गई। इस कार्यक्रम में महिलाओं ने जहां लोकगीत गाए तो युवाओं ने डीजे पर जमकर डांस किया। वहीं पंडितों को बुलाकार हवन और पूजा पाठ भी कराया गया। महाराष्ट्रियन संस्कृति के मुताबिक महिलाओं ने कुत्ते के बच्चे का नाम “मोती और खंडोबा” रखा गया।
इस बारे में गांव के लोगों ने बताया कि पिछले पांच सालों से उनके गांव में एक लावारिस कुतिया आई थी। यह कुतिया सभी के घर में आने-जाने लगी। लोग भी उसे रोजाना सुबह-शाम खाना देने लगे और इसकी देखभाल करने लगे। धीरे-धीरे वह लोगों के परिवार के सदस्य की तरह बन गई।
लोगों ने आगे कहा कि त्यौहारों के समय लोग उसे पकवान खिलाते। देखते ही देखते उसके सीधे स्वभाव की वजह से वो गांव में सबकी प्यारी हो गई। छोटे-छोटे बच्चे उसके पास खेलते रहते, पर किसी को उसने काट नहीं। इतना ही नहीं वह दूसरे कुत्तों से उनकी रक्षा भी करती। इसी लगाव की वजह से ग्रामीणों और प्रधान ने उसके बच्चों के नामकरण करने का फैसला किया।