भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, दक्षिण-पूर्व अरब सागर पर बना डिप्रेशन गहरे दबाव में तब्दील होकर उत्तर की ओर बढ़ रहा है। इसके उत्तर की ओर बढ़ने और आज रात में चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ में तब्दील होने की पूरी संभावना है। मुंबई IMD के वैज्ञानिक सुनील कांबले ने कहा, यह चक्रवात भारत के तटों से हजार किमी से ज्यादा दूरी पर है, इसलिए तूफान के देश के तटों पर सीधा असर पड़ने की संभव नहीं है। हालांकि गहरे समुद्र में मछुआरों को जाने से मना किया गया है, क्योकि समुद्र में हलचल बढ़ेगी।
मुंबई में मॉनसून की दस्तक कब? (Mumbai Monsoon Onset)
मौसम विज्ञानी ने कहा कि मॉनसून के केरल पहुंचने के बाद ही मुंबई में मॉनसून की शुरुआत कब होगी, इसको लेकर पक्के तौर पर कुछ कहा जा सकेगा। लेकिन मौसम जानकारों का कहना है की केरल में मॉनसून के 8 जून को दस्तक देने की संभावना है। जबकि मुंबई में कम से कम 13 जून तक मॉनसूनी बारिश के शुरुआत की संभावना नहीं है, लेकिन मुंबई और आसपास के इलाकों में इस सप्ताह के अंत तक प्री-मानसून बारिश शुरू होने की उम्मीद है।
दक्षिण पूर्व अरब सागर में बना डिप्रेशन आज रात तक ‘बिपरजॉय’ तूफान में तीव्र हो जाएगा। यह 10 जून तक अति गंभीर चक्रवात (Very Severe Cyclone) में तब्दील हो जायेगा और ओमान/यमन क्षेत्र की ओर बढ़ जाएगा। इसलिए इसका मुंबई पर कुछ ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
पुणे में मानसून की एंट्री कब? (Pune Monsoon Onset)
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अरब सागर के ऊपर बनी प्रणाली मानसून को प्रभावित कर रही है। इसकी वजह से पुणे सहित आंतरिक महाराष्ट्र में मानसून की शुरुआत में देरी हो सकती है। पुणे में 15 जून के बाद ही मानसून के आने की संभावना है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग, पुणे (IMD Pune) के मौसम पूर्वानुमान विभाग के प्रमुख अनुपम कश्यपी (Anupam Kashyapi) ने कहा, “महाराष्ट्र के दक्षिणी जिलों में मॉनसून की शुरुआत की सामान्य तिथि लगभग 6-7 जून है, जबकि मॉनसून 15 जून तक पूरे राज्य को कवर कर लेता है। लेकिन अरब सागर के ऊपर बने सिस्टम के कारण 8 जून तक मानसून के महाराष्ट्र में प्रवेश करने की उम्मीद नहीं है।“ महाराष्ट्र में मॉनसून आगामी रविवार के आसपास पहुंच सकता है।
देश में मॉनसून कब आयेगा?
भारत की पहली प्राइवेट वेदर कंपनी स्काईमेट (Skymet) के पूर्वानुमान के मुताबिक केरल में मॉनसून आठ या नौ जून को दस्तक दे सकता है लेकिन अच्छी बारिश की संभावना कम है। चक्रवात के प्रभाव में मॉनसून तटीय हिस्सों में पहुंच सकता है लेकिन पश्चिम घाटों से आगे बढ़ने में उसे संघर्ष करना पड़ेगा।
मालूम हो कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आम तौर पर 1 जून को केरल में प्रवेश करता है। मई के मध्य में आईएमडी ने कहा था कि मॉनसून चार जून तक केरल में आ सकता है। लेकिन वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि केरल में मॉनसून के देर से पहुंचने का यह मतलब नहीं होता कि मॉनसून देश के अन्य हिस्सों में भी समय पर नहीं पहुंचेगा।
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