पीएम मोदी ने वर्धा में आयोजित राष्ट्रीय पीएम विश्वकर्मा कार्यक्रम की प्रदर्शनी में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति खरीदी और डिजिटल तरीके से भुगतान किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, “विश्वकर्मा योजना के जरिए हमने श्रम से समृद्धि, कौशल से बेहतर कल का संकल्प लिया है। विश्वकर्मा योजना केवल सरकारी प्रोग्राम भर नहीं है। ये योजना भारत के हजारों वर्ष पुराने कौशल को विकसित भारत के लिए इस्तेमाल करने का एक रोडमैप है।“
उन्होंने आगे कहा, “विश्वकर्मा योजना की मूल भावना सम्मान, सामर्थ्य और समृद्धि है। यानी पारंपरिक हुनर का सम्मान, कारीगरों का सशक्तिकरण और विश्वकर्मा बंधुओं के जीवन में समृद्धि ये हमारा लक्ष्य है। विश्वकर्मा योजना की एक और विशेषता है। जिस स्केल पर, जिस बड़े पैमाने पर इस योजना के लिए अलग अलग विभाग एकजुट हुए हैं, ये भी अभूतपूर्व है। देश के 700 से ज्यादा जिलें, 2.5 लाख से ज्यादा ग्राम पंचायत, 5 हजार शहरी स्थानीय निकाय मिलकर इस अभियान को गति दे रहे हैं।“
पीएम मोदी ने कहा, “एक साल में ही 18 अलग-अलग पेशों के 20 लाख से ज्यादा लोगों को इस योजना से जोड़ा गया। सिर्फ साल भर में ही 8 लाख से ज्यादा शिल्पकारों और कारीगरों को स्किल ट्रेनिंग मिल चुकी है। अकेले महाराष्ट्र में ही 60 हजार से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग मिली है।“
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “अब तक 6.5 लाख से ज्यादा विश्वकर्मा बंधुओं को आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं। हर लाभार्थी को 15 हजार रुपये का ई-वाउचर दिया जा रहा है। अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए बिना गारंटी के 3 लाख रुपये तक लोन भी मिल रहा है। मुझे खुशी है कि एक साल के भीतर विश्वकर्मा भाई-बहनों को 1,400 करोड़ रुपये का लोन दिया गया है। यानी विश्वकर्मा योजना हर पहलू का ध्यान रख रही है।“