मिली जानकारी के मुताबिक, वन कर्मचारियों के परिजनों को अब 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसी प्रकार अनुकंपा के आधार पर परिवार को नौकरी दी जाएगी। यदि उत्तराधिकारी नौकरी करने में सक्षम नहीं है या वारिस नौकरी से इंकार कर देता है, तो उक्त मृतक वन कर्मचारी की निर्धारित सेवानिवृत्ति की तिथि तक का वेतन परिवार को दिया जाएगा।
यदि कोई वन कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए स्थायी रूप से विकलांग हो जाता है, तो 3.6 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। जबकि ड्यूटी करते समय घायल हुए वन कर्मचारी के इलाज का खर्च भी सरकार वहन करेगी।
मंत्री ने कहा कि जिस तरह पुलिसकर्मी सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करते हैं, उसी तरह वन विभाग के कर्मचारी भी वन का संरक्षण कर रहे हैं, जो कि सार्वजनिक संपत्ति भी है। मुनगंटीवार ने कहा कि जंगल और वन्यजीव दोनों को सुरक्षित रखना एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम है।
बता दें कि वन कर्मचारियों के मुआवजे के पैकेज को लेकर मांग काफी समय से लंबित थी। मंत्री ने कहा कि वन कर्मचारी हर बार ड्यूटी पर अपनी जान जोखिम में डालते हैं, उन्हें मुआवजे के पैकेज से कवर मिलना आवश्यक है।
अमूमन वन विभाग के कर्मचारियों के लिए जंगली जानवरों या शिकारियों के हमलों का खतरा सबसे ज्यादा होता है, जबकि कई बार प्राकृतिक आपदाओं जैसे जंगल की आग आदि की चपेट में आने से भी वन कर्मचारी हताहत या जख्मी होते है।