चुनाव आयोग के मुताबिक, महाराष्ट्र में कांग्रेस को 13, बीजेपी को 9, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) को 9, एनसीपी (शरद पवार) को 8, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को 7, एनसीपी (अजित पवार) को एक और अन्य को एक सीट मिली है।
बीजेपी ने महाराष्ट्र की 45 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। दरअसल उत्तर प्रदेश (80 सीट) के बाद महाराष्ट्र में सबसे अधिक 48 लोकसभा सीटें हैं। इसलिए ये दोनों राज्य तीसरी बार मोदी सरकार बनाने के लिए बेहद अहम थे। इसके लिए खास रणनीति भी बनायीं गयी। लेकिन दोनों ही राज्यों में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है।
मिशन 45 फेल-
शिवसेना और एनसीपी दोनों दल दो धड़ों में बंट चुके है और उनका एक-एक गुट अधिकांश विधायकों के साथ सत्ताधारी महायुति गठबंधन का हिस्सा है। लेकिन लोकसभा चुनावों में उनके वोट सत्ताधारी खेमें में ट्रांसफर नहीं हुए।
इसके अलावा अपने काम और भविष्य के कदमों को जनता के बीच रखने के बजाय प्रत्याशियों का ‘मोदी मैजिक’ पर ज्यादा भरोसा करना उनकी हार का कारण बना। मराठा आरक्षण आंदोलन ने मराठवाडा में बीजेपी की लुटिया डुबोई है। मराठवाड़ा की आठ लोकसभा सीटों में से किसी पर भी बीजेपी को सफलता नहीं मिली है। वहीँ, मराठा फैक्टर से विदर्भ और मध्य महाराष्ट्र में भी सत्तारूढ़ गठबंधन को बड़ा नुकसान हुआ है।
बीजेपी पर शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने का आरोप है, जो महाराष्ट्र के वोटरों को रास नहीं आया है। साथ ही बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने विपक्ष को कमतर आंका और उसी हिसाब से तैयारी की। उधर, MSP का मुद्दा और प्याज पर निर्यात शुल्क लगाने जैसे कदमों से किसान भी खफा हो गए।
BJP को मिले सबसे ज्यादा वोट
लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र में बीजेपी को सर्वाधिक 26.18 फीसदी वोट मिले हैं। इसके बाद 13 सीट जीतने वाली कांग्रेस को 16.92%, शिवसेना (यूबीटी) को 16.72% व शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को 12.95% वोट मिले हैं। वहीं, अन्य को 11.23%, एनसीपी (शरदचंद्र पवार) को 10.27% और एनसीपी (अजित पवार) को 3.60 फीसदी वोट मिले हैं। मालूम हो कि महाराष्ट्र में ‘महायुति’ में सत्तारूढ़ बीजेपी, सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) अजित पवार गुट शामिल हैं। जबकि एमवीए गठबंधन में कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (उद्धव गुट) है। जबकि एमवीए के तीनों दल ‘इंडिया’ गठबंधन का भी हिस्सा है।