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पिता-पुत्र बयान दर्ज कराने नहीं पहुचे ट्रांबे पुलिस थाने

किरीट सोमैया व उनके बेटे ने लगाई अग्रिम जमानत याचिका, शिवसेना नेता ने कसा तंजपूर्व सैनिक की शिकायत पर एफआइआर

मुंबईApr 09, 2022 / 06:41 pm

Chandra Prakash sain

गिरफ्तारी की लटकती तलवार

गिरफ्तारी की लटकती तलवार

मुंबई. देश के पहले विमान वाहक पोत आइएनएस विक्रांत को संग्रहालय में तब्दील करने के लिए जुटाए चंदे में कथित धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए किरीट सोमैया व उनके बेटे नील ने सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई है। पूर्व सैनिक बबन भोसले की शिकायत पर ट्रांबे पुलिस थाने में सोमैया के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है। दोनों को पूछताछ के लिए शनिवार को ट्रांबे पुलिस थाने बुलाया था गया था, मगर सोमैया नहीं पहुंचे। भाजपा नेता के वकील ने पुलिस को बताया कि जरूरी काम से सोमैया दिल्ली में हैं। इसलिए बयान दर्ज कराने वे आज नहीं आ सकते। वकील ने यह भी बताया कि सेशन कोर्ट में किरीट व नील की अग्रिम जमानत अर्जी पर सोमवार को सुनवाई होगी। शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने इस पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि अग्रिम जमानत अर्जी तो चोर-डकैत लगाते हैं। अब देश द्रोही भी जमानत चाहते हैं। उन्हें बताना चाहिए कि आखिरी विक्रांत के नाम पर जुटाया पैसा कहां है? राउत ने हाल ही आरोप लगाया था कि सेव विक्रांत मुहिम के तहत 57 करोड़ रुपए का चंदा जमा किया गया था। सोमैया ने इसे महाराष्ट्र के राज्यपाल के पास जमा नहीं किया। राउत का आरोप है कि भाजपा नेता ने चंदे की अपने बेटे की कंपनी में लगा दी।

आरोप निराधार, जांच में सहयोग करेंगे
भाजपा के पूर्व सांसद सोमैया ने आरोपों को निराधार बताया है। उनका कहना है कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। जांच में पुलिस का सहयोग करूंगा। उनके वकील ने कहा कि सोमैया पहले से दिल्ली में हैं। पूछताछ के लिए पुलिस का नोटिस शुक्रवार तीन बजे मिला था। एफआइआर की कॉपी आज सुबह नौ बजे मिली। 11 बजे उन्हें थाने बुलाया गया था। इतने कम वक्त में कोई कैसे पहुंच सकता है। वकील ने पुलिस से अनुरोध किया है कि सोमैया को 13 अप्रेल के बाद कभी भी बुलाएं। वे जांच में सहयोग करेंगे।

1997 में रिटायर
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाला विमान वाहक पोत आइएनएस विराट 1997 में रिटायर हुआ। म्यूजियम के रूप में 2012 तक इसे रखा गया। इसके बाद 2014 में इसे स्क्रैप के रूप में बेच दिया गया। म्यूजियम के रूप में इसे संजोने के लिए 2013-14 में सेव विक्रांत मुहिम चलाई गई थी। चंदा जमा करने के लिए स्टेशनों पर दान-पात्र लगाए गए थे। भोसले का कहना है कि उन्होंने खुद 2000 रुपए चंदा दिया था।

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