बॉम्बे हाईकोर्ट कोर्ट ने एक लाख रुपये के मुचलके पर अनिल देशमुख को जमानत दी है. साथ ही देशमुख को अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराने का आदेश दिया है। एनसीपी नेता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के मामले में जमानत मांगी थी। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। पूरी सुनवाई के दौरान सीबीआई ने देशमुख के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाये रखा। बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। इस वजह से हाईकोर्ट ने अनिल देशमुख की जमानत 10 दिन के लिए निलंबित कर दी है।
दरअसल सीबीआई ने मामले को देश की शीर्ष कोर्ट तक ले जाने के लिए 10 दिन का समय मांगा था, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने मान लिया है और अपने जमानत के आदेश को तब तक के लिए निलंबित कर दिया है। लिहाजा देशमुख को 10 दिनों तक जेल में ही रहना होगा।
पिछले सप्ताह देशमुख की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब जस्टिस एमएस कार्णिक की एकल पीठ ने कहा था कि देशमुख की सेहत को देखते हुए प्रथम दृष्टया उसकी राय है कि भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग मामले में दाखिल उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
इससे पहले सीबीआई की विशेष अदालत ने पिछले महीने 74 वर्षीय नेता को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया। देशमुख ने चिकित्सकीय और याचिका के गुण-दोष के आधार पर जमानत देने का अनुरोध किया है। देशमुख को सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया है। वह अभी मुंबई के आर्थर रोड जेल में न्यायिक हिरासत में बंद हैं।