जानकारी के मुताबिक, पीड़िता दक्षिण मुंबई में रहती है। उसने बुधवार सुबह 7.27 बजे सीएसएमटी-पनवेल लोकल (CSMT-Panvel Local) की द्वितीय श्रेणी के महिला डिब्बे में सवार हुई। उसी कोच में एक बुजुर्ग महिला यात्री थी। जैसे ही ट्रेन चलने लगी, करीम डिब्बे में घुस गया। सीएसएमटी और मस्जिद बंदर के बीच तीन से चार मिनट के सफर के दौरान उसने छात्रा का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया। इस बीच बुजुर्ग सह-यात्री ने विरोध भी किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पीड़िता ने भी हमलावर के चंगुल से खुद को छुड़ाने के लिए बहादुरी से उसका मुकाबला किया। जिस वजह से आरोपी को मस्जिद बंदर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा। पीड़िता भी उतरकर अगले डिब्बे में चढ़ गई जिसमें पुरुष यात्री सवार थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “पीड़िता बहुत डरी हुई थी। जब उससे एक पुरुष यात्री ने पूछताछ की तो उसने सारी बात बताई। फिर उसने चलती ट्रेन में जीआरपी हेल्पलाइन 1512 पर फोन किया।” जिसके बाद पीड़िता के पास सानपाड़ा स्टेशन (Sanpada) पर कुछ महिला पुलिसकर्मियों को भेजा गया। पुलिसकर्मी पीड़िता को लेकर बेलापुर गए जहां उसकी परीक्षा होने वाली थी। परीक्षा केंद्र पर कॉलेज छात्रा ने यौन उत्पीड़न की बात बताई, जिसके बाद पीड़िता की मानसिक स्थिती को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने उसकी परीक्षा की अलग व्यवस्था बाद में करने का निर्णय लिया। इसके बाद महिला पुलिसकर्मी पीड़िता को वापस सीएसएमटी ले गईं, जहां सुबह 11 बजे के बाद शिकायत दर्ज कराई गई।
पुलिस ने कहा कि कॉलेज छात्रा सदमे में होने की वजह से शुरू में अपराध के बारे में जानकारी देने से हिचकिचा रही थी। लेकिन महिला पुलिसकर्मियों ने अब उसकी काउंसलिंग की तो उसने सारी जानकारी दी और प्राथमिकी दर्ज की गई। सीसीटीवी जांच के दौरान आरोपी नवाजु करीम शेख द्वारा पांच और महिलाओं के साथ घिनौनी हरकत करने की बात पता चली। हालांकि इन महिलाओं ने अभी तक कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई है।
प्राथमिकी दर्ज होने से पहले ही पुलिस ने अपराधी की तलाश शुरू कर दी थी। साथ ही स्थानीय पुलिस स्टेशन, जीआरपी क्राइम ब्रांच और आरपीएफ की तीन टीमें गठित की गईं। टीमों ने सीएसएमटी और मस्जिद बंदर स्टेशनों के बीच के सीसीटीवी फुटेज खंगाले। आरपीएफ कर्मियों ने आठ घंटे के भीतर करीम को मस्जिद बंदर से हिरासत में ले लिया। उसके खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि करीम बिहार का मूल निवासी है।
बता दें कि महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए लोकल ट्रेनों में महिला कोचों में रात 9 बजे से सुबह 6 बजे के बीच एक पुलिसकर्मी की तैनाती की जाती है। हालांकि बुधवार की घटना सुबह करीब साढ़े सात बजे हुई, इसलिए कोच में कोई सुरक्षाकर्मी नहीं था।