कहानी: देवा, मां के साथ असम के तिनसुकिया में शांति से जी रहा था। आध्या को बचाने और मां के आदेश पर वह फिर से हथियार उठाता है। इस सबमें वह एक ऐसे सील लगे ट्रक को रोकता है, जिसके रूकने पर बवाल होना ही था। ये सील उसके जिगरी दोस्त वर्धा के साम्राज्य खानसार की थी। वर्धा उसकी मौत का फरमान जारी करता है। बिलाल जोकि देवा का ही साथी है और आध्या को अपनी गाड़ी से ले जा रहा है। उसे बताता है कि जिस सील की बात सभी कर रहे थे, वह सील खुद देवा ने ही बनाई थी। खानसार का किंग वर्धाराजा मन्नार और देवा जिगरी दोस्त थे और एक-दूसरे पर जान लुटाते थे। वर्धा से पहले उसके पिता राजा मन्नार खानसार पर राज करते थे। वह बताता है कि खानसार पर आजादी से सैकड़ों साल पहले खानसार में तीन कबीले मिलकर रहते हैं। मन्नार कबीले का शिव मन्नार 1947 में आजादी मिलने के दौरान दोनों में से किसी भी देश में शामिल होने से मना कर देता है और खानसार को इन दोनों से अलग होने की घोषणा करता है।
इसके बाद वह सभी कबीलों का सरदार बन खानसार की ताकत और पैसा बढ़ाना शुरू करता है। भारत में सभी ब्लैक कामों में खानसार का हिस्सा तय था। ऐसा ना करने का परिणाम जान देकर चुकाना पड़ता था। शिव मन्नार की मौत के बाद जैसा कि पहले तय हुआ था शौर्यांगन कबीले के सरदार का नंबर खानसार का राजा बनने का आता, लेकिन शिव मन्नार का बेटा राजा मन्नार उर्फ कर्ता खुद राजा बनना चाहता था। इसलिए एक रात वह शौर्यांगनों पर सोते समय हमला करवा देता है और उनके कबीले के हर व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया जाता है। हालांकि, इनमें से कुछ बच भी जाते हैं। सालों बाद जब राजा मन्नार के तीन बच्चे रुद्रा, राधारामा और वर्धा बड़े हो जाते हैं। रुद्रा और राधा सगे भाई-बहन हैं, वर्धा इनका सौतेला भाई है, जिससे ये दोनों नफरत करते हैं। कर्ता वर्धा को उत्तराधिकारी बनाने की बात कहते हैं और बाहर से लौटने पर उसका राजतिलक करवाने की घोषणा करते हैं। कर्ता के बाहर जाने के बाद उसके मंत्री, रिश्तेदार और सलाहकार साजिश रचने लगते हैं। कर्ता जाने से पहले राधा को सब संभालने की कहकर जाता है।
साजिशों के बीच खून-खराबा होने पर राधा सीजफायर की घोषणा करती है, जिसे उसका भाई और कर्ता का मंत्री रुद्रा चैलेंज करता देता है। इस पर 9 दिन बाद वोटिंग होनी थी कि सीजफायर रहेगा या नहीं। सभी मंत्री अपनी शक्तियां बढ़ाने के लिए विदेशों से खूनी दरिंदों को बुलाकर अपनी फौज खड़ी करने लग जाते हैं, जिससे कि सीजफायर के खिलाफ नतीजा आने पर वे पूरी ताकत के साथ अपने दुश्मन या कर्ता पर हमला कर सकें। वहीं, वर्धा जो बचपन में देवा और उसकी मां को बचाने के लिए अपने पिता से मिले एक भूभाग के अधिपति के प्रतीक का कड़ा उन लोगों को दे देता है, जिनसे उन्हें खतरा था। जाते समय देवा उससे वादा करके जाता है कि जब भी वह बुलाएगा वह आ जाएगा। वर्धा अपनी ताकत बढ़ाने के लिए देवा, जिसे उसने बचपन में सलार का नाम दिया था को वापस खानसार ले आता है। यहां सीजफायर के दौरान ही देवा एक मंत्री और उसके बेटे को मौत के घाट उतार देता है। इधर, वोटिंग वाले दिन वर्धा सीजफायर खत्म करने के पक्ष में वोट देकर शुरू कर देता है महासंग्राम।
थीम: केजीएफ की ही तरह निर्देशक प्रशांत नील ने फिर से ऐसे वल्र्ड की रचना की है, जिसका खौफ हमारे देश के प्रशासन तक पर है। खानसार नामक इस साम्राज्य के पास अपनी फौज, अत्याधुनिक हथियार व बेहिसाब दौलत है। गद्दी पाने के लिए अंदरूनी क्लेश चल रहे हैं। जिगरी दोस्तों के दुश्मन बनने की भी कहानी है सलार।
एक्टिंग: प्रभास और पृथ्वीराज की एक्टिंग शानदार रही। श्रुति हासन की ठीक रही। छोटे रोल में भी जगपति बाबू दमदार नजर आए। इश्वरी राव ने भी अच्छा अभिनय किया। निर्देशक और लेखक – प्रशांत नील
निर्माता – विजय किरागंदूर
अभिनेत – प्रभास, पृथ्वीराज सुकुमारन, श्रुति हासन, जगपति बाबू
छायाकार – भुवन गौड़ा
संगीतकार – रवि बस्रूर
निर्माण कंपनी – होम्बले फिल्म्स
लागत – लगभग 400 करोड़
स्टार – ***