रोहित तिवारी/ मुंबई ब्यूरो। जैसा कि जगजाहिर है कि बी-टाउन की निर्देशक जोड़ी अब्बास-मस्तान हमेशा से ही अपने चाहने वालों के बीच एक्शन-थ्रिलर फिल्म लेकर आए हैं। लेकिन इस बार अब्बास-मस्तान ऑडियंस के बीच “किस किसको प्यार करूं” जैसी कॉमेडी, सोशल फिल्म लेकर आए हैं। उन्होंने अपने निर्देशन से दर्शकों को गुदगुदाने की दमदार कोशिश की है और वे इस फिल्म से देश के स्टार कॉमेडियन कपिल शर्मा को भी बड़े परदे पर लॉन्च कर रहे हैं।
कहानी : कहानी फ्लैशबैक से शुरू होती है और फिर एक साल पुरानी घटनाओं को उजागर किया जाता है। कुमार शिव राम किशन (कपिल शर्मा) की हादसों में ही तीन शादियां हो जाती हैं। पहली शादी उसकी अस्पताल में हो जाती है। फिर दूसरी शादी एक अन्य दूसरे की शादी में हो जाती है। अब उसकी तीसरी शादी बंदूक की नोक पर होती है। यानी उसके लिए अब तीन बीवियों को एक साथ संभालना काफी मुश्किल हो जाता है। फिर वकील (वरुण शर्मा) की एंट्री होती है और वह अपने फ्रेंड कुमार शिव राम किशन को राय देता है कि वह कॉकटेल टॉवर में एक ही जगह तीनों बीवियों के लिए फ्लैट ले। फिर उसी टॉवर में 8वें फ्लोर पर सिमरन (सिमरन कौर मुंडी), 6वें फ्लोर पर अंजली और 4वें फ्लोर पर वह जूही को रखता है। यानी सुबह बाहर जाते समय वह सभी से बारी-बारी से मिलकर जाता था और बाहर से सभी को एक साथ बाय करता था। फिर एक दिन कुमार की गर्लफ्रेंड दीपिका (एली अवराम) भी आ जाती है, जिसे कुमार वाकई में प्यार करता है। लेकिन दीपिका का बाप गुलाब चंद्र (मनोज जोशी) को कुमार पर शक होता है कि वह पहले से ही शादी-शुदा है। वहीं दूसरी तरफ, कुमार के मां-बाप को भी पता चल जाता है। इसी के साथ कहानी तरह-तरह के मोड़ लेते हुए आगे बढ़ती है और फिल्म में गजब का ट्विस्ट आता है।
अभिनय: कपिल शर्मा ने बड़े परदे पर पहली बार दस्तक दी है। वे अपने अभिनय में काफी कुछ बेहतरीन करते दिखाई दिए। उन्होंने अपने अभिनय से साबित कर दिखाया है कि एक कॉमेडियन भी अच्छी स्क्रिप्ट वाली में कुछ खास कमाल कर सकता है। खैर, एली अवराम, मंजरी फडनीस, सिमरन कौर मुंडी सभी कपिल शर्मा का भरपूर साथ देती नजर आईं और जॉनी लीवर की बेटी जैमी लीवर ने भी अपने-अपने अभिनय में गजब की जान डाली है। साथ ही वरुण शर्मा, शरत सक्सेना और सुप्रिया पाठक ने भी अपनी कलाकारी में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। इसके अलावा मनोज जोशी, अरबाज खान और साईं लोकुर भी अपने अभिनय में बाजी मारते नजर आए।
निर्देशन : अब्बास-मस्तान ने भले ही अपने चाहने वालों के बीच अपनी अलग पहचान बना चुके हों, लेकिन उन्होंने अपने गजब निर्देशन से साबित कर दिखाया है कि एक सफल निर्देशक थ्रिलर या अन्य किसी भी जोनर की फिल्म बना सकता है। उन्होंने फिल्म के निर्देशन की कमाल तो गजब संभाली है। उन्होंने इसमें कॉमेडी का तड़का तो जरूर लगाया है, लेकिन पूरी तरह से सफल नहीं हो सके। कॉमेडी में अब्बास-मस्तान ने वाकई में कुछ अलग करने की दमदार कोशिश की है, इसीलिए वे ऑडियंस की वाहवाही बटोरने में सफल रहे। भले ही इसकी स्क्रिप्ट डगमगाती नजर आती है, लेकिन इसकी कहानी ऑडियंस को आखिरी तक बांधे रखने में काफी हद तक सफल भी रही। बहरहाल, “साला आदमी से लोकल ट्रेन हो या हूं…” और “बंदूक की नोक पर बहन चिपका दी…” जैसे कई कॉमेडी डायलॉग्स तारीफ के काबिल रहे, लेकिन अगर कॉमर्शियल अंदाज को छोड़ दिया जाए तो इसकी सिनेमेटोग्राफी कुछ खास करने में थोड़ा सा असफल सी रही। संगीत (जावेद मोहसिल, अमजद, नदीम) तो ऑडियंस को भाता भी है, लेकिन गाने की तुलना में कमजोर भी रहा है।
क्यों देखें: एक अलग तरह की कॉमेडी को कपिल के अंदाज में देखने के लिए सिनेमाघरों का रुख किया जा सकता है। साथ ही आप अपनी पूरी फैमिली के साथ एंज्वाय भी कर सकते हैं, लेकिन फुल एंटरटेंन के लिहाज से नहीं। इसके अलावा आपको जेब हल्की करने में भी निराश नहीं होना पड़ेगा… आगे मर्जी आपकी…!