पशु चिकित्सा क्षेत्राधिकारी मामचौन डॉ. जितेंद्र जाटव के पास मामचौन का अतिरिक्त प्रभार है। इसलिए 29 जनवरी को जब ग्राम नीबाजीत से बंटी जाटव ने बीमार भैंस के उपचार के लिए कॉल किया तो उन्होंने सेमई से जितेंद्र अर्गल को उपचार के लिए भेज दिया। उपचार के बाद वो लौट आए, लेकिन सोमवार को एक बार फिर कॉल आया तो अर्गल को एक बार फिर भेजा गया। उपचार के दौरान भैंस को जैसे ही इंजेक्शन लगाया वो नीचे गिर गई और मर गई। इसके बाद अर्गल और उनके साथ में गए पांच लोगों को भैंस मालिक बंटी जाटव और उसकी पत्नी ने बाइक के पहिए की हवा निकालकर और चाबी खींचकर रोक लिया। वे भैंस की मौत पर उसकी कीमत का हर्जाना मांगने लगे। दोपहर में करीब 3 बजे पहुंचे उपचार दल को देर शाम करीब 7 बजे 10 हजार रुपए लेने के बाद छोड़ा गया।
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आारोपियों की तलाश में गांव पहुंची पुलिस
हालांकि, इसकी सूचना अर्गल ने डॉ. जितेंद्र जाटव को दे दी थी और उनकी सूचना के आधार पर पुलिस का एक दल मौके लिए रवाना हो गया था, लेकिन तब तक वे रुपए देकर वापस आ गए। इसके बाद थाना प्रभारी नरेश निरंजन ने पूरी बात सुनने और समझने के बाद बंधक बनाए गए अर्गल को साथ लेकर पुलिस का दूसरा दल भी मौके के लिए रवाना किया गया है। पुलिस ने जितेंद्र अर्गल के अलावा कुलदीप गोयल, धर्मेंद्र अर्गल, सूरज भी गए हैं। ये सभी लोग घटना के वक्त साथ थे और बंधक रहे थे। लेकिन, खबर लिखे जाने तक टीम लौटी नहीं है और एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई है।