- व्यापारी भी नहीं चाहते कि अतिक्रमण हटे, क्योंकि दुकान के आगे अतिक्रमण बिना दुकानदार की सहमति के नहीं हो सकात। आगामी समय में यही स्थिति रही तो भिंड, श्योपुर विकास में हमसे आगे निकल जाएगा। राजनीतिक दबाव व व्यक्ति की महत्वाकांक्षा अधिक हैं। हर व्यक्ति विकास चाहता है कि विकास हो लेकिन मेरी दुकान व घर सुरक्षित रहे। मेरे यहां किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। यह संभव नहीं हैं। इसके लिए हर व्यक्ति को पहल करनी होगी और व राजनेताओं को हस्तक्षेप करना होगा।
डॉ. वनायक सिंह तोमर, शिक्षाविद - ट्रैफिक व्यवस्था पर बात करें तो तीन थाने लगते हैं, ट्रैफिक थाना तो कार्रवाई करता है लेकिन सिटी कोतवाली, स्टेशन रोड कोई कार्रवाई नहीं करती। अगर तीनों थाने मिलकर बाजार में कार्रवाई करें तो सुधार संभव है। यहां हमको रहना हैं अधिकारियों को नहीं, अधिकारी आएंगे, चले जाएंगे। यहां क्या व्यवस्था होनी चाहिए, हमको सोचना होगा, शहर हमारा है, इसलिए हम सबको सामूहिक पहल करनी होगी। सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि यहां की महापौर महिला है लेकिन महिलाओं के लिए शहर में टायलेट नहीं हैं।
रविद्र मोहन माहेश्वरी, अध्यक्ष, व्यवसायिक महासंघ - एम एस रोड पर आधी सडक़ का प्रयोग हो रहा है, आधी पर फालतू पड़ी है। किसी ने गिट्टी, रेत तो किसी ने दुकान का सामान रख लिया है। कहीं सडक़ खराब पड़ी है। अगर यातायात सुचारू करना हैं तो प्रशासन को इस सामान को रखने वालों पर कार्रवाई करें और किनारे की सडक़ को चलने योग्य बनाया जाए। सडक़ों पर बेतरतीव ढंग से वाहन रखे मिले, उनको जब्त कर कार्रवाई की जाए लेकिन यह मुरैना में हो नहीं पा रहा है।
चंद्रप्रकाश शर्मा, व्यवसायी - बाजार में दुकानों के आगे बैठने वाले फूल वाले, फुटपादी व हाथ ठेले वाले महीनादारी दे रहे हैं। गलती आम इंसान की ही है, कोई ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करता, हमेशा उल्टी साइड में चलता है और कहीं भी खड़ा कर देता है फिर चाहे बाइक वाला या अन्य वाहन। अगर कोई दुकानदार उनसे कुछ कहता है, फोन करके लोगों को बुलाकर गुंडागर्दी करते हैं।
संदीप मिश्रा, एडवोकेट - पत्रिका का प्रयास सराहनीय है। लेकिन मुरैना का दुर्भाग्य रहा है कि कोई राजनेता ऐसा नहीं आया कि शहर का विकास कर सके। ऐसा नहीं है कि मुरैना में अच्छे नेता नहीं हैं। वो चाहते तो ग्वालियर से ज्यादा विकास कर सकते थे लेकिन उनका कोई विजन नहीं था। जब तक जनता नहीं सुधरेगी तब पुलिस, प्रशासन कुछ नहीं कर सकता। जब तक कार्रवाई नहीं होगी, विकास नहीं हो सकता। भय के बिना कोई मानने वाला नहीं हैं।
आनंद गुप्ता, डिस्ट्रिक सेके्रटरी, रोटरी क्लब - शहर को सुव्यवस्थित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ शहर के अन्य दोनों थानों की पुलिस व नगर निगम को कॉबीनेशन बनाकर कार्य करना होगा। क्योंकि बिना पुलिस के निगम अफसर भी कार्रवाई नहीं कर सकते क्योंकि उनको विरोध का सामना करना पड़ेगा। यह तो तय है कि कार्य करने पर विरोध का सामना तो करना ही पड़ता है। इसलिए एक बड़े स्तर पर प्लानिंग करके बाजरों से अतिक्रमण हटाया जाए जिससे दुकानदारों के साथ साथ आम लोगों को राहत मिल सके।
आकाश चांदिल, डिस्ट्रिक चेयरमेंन, रोटरी क्लब - शहर की प्रमुख बाजारों में नए सिरे से डिवाइडर विकसित किए जा रहे हैं, उसके लिए हमने सुझाव रखा है कि प्रत्येक दुकानदार को पार्किंग पास जारी किए जाएं, उसको शुल्क निर्धारित किया जाए जिससे उनके व दुकान पर आने वाले ग्राहकों के वाहन वहां खड़े होंगे तो हाथ ठेले वालों से दुकानदार लड़ सकेगा। पूर्व में पुलिस अधीक्षकों के समक्ष हमने प्लानिंग रखी और वर्तमान में नए पुलिस अधीक्षक के समक्ष भी हमने सुझाव रखे हैं। यातायात पुलिस तो कार्रवाई करती है लेकिन नगर निगम सपोर्ट नहीं करता।
तेजेन्द्र खेड़ा, अध्यक्ष, सदर बाजार एसोसिएशन - शहर में जो आवारा पशु हैं बहुत बड़ा इश्यू है। शहर में जगह जगह कचरे के ढेर लगे रहते हैं, वहां आवारा पशु बड़ी संख्या में आए दिन लड़ते रहते हैं जिससे दुर्घटनाएं हो रही हैं। पत्रिका की पहल पर जो टॉक शो हुआ है, अच्छा प्रयास है लेकिन अगली पहल यह हो कि विधायक, सांसद, कलेक्टर, निगग आयुक्त को बैठाया जाए, उनके समक्ष शहर की समस्याएं रखी जाएं। हमारा इश्यू यह है कि शहर का विकास कैसे हो।
रवि गुप्ता, समाजसेवी - शहर में ट्रैफिक सुधार को लेकर पूर्व में कई बार प्रशासन व निगम अफसरों ने प्लानिंग बनाई लेकिन उसको अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। अगर प्रशासन पूर्व में तय किए विंदुओं पर भी सख्ती से कार्रवाई करवा देता है शहर का 50 प्रतिशत सुधार संभव है लेकिन बैठक के निर्णय सिर्फ कागजों तक ही सिमटकर रह जाते हैं।
संजय डंडोतिया, समाजसेवी